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- नशे की गिरफ्त मे पड़ता युवा......खतरनाक हो सकता है.कफ सिरप का अधिक उपयोग
Posted by : achhiduniya
11 November 2015
शराब, बीयर, सिगरेट की लत के साथ ही नशीली दवाओं की लत जानलेवा हो सकती है। इससे लीवर पर
बुरा प्रभाव पडता है। शहरी ही नहीं
ग्रामीण इलाकों में भी इसकी बिक्री होने लगी है। कोरेक्स, फैन्सीडिल, मेटसलिंटस कोडीन, ग्लायकोडीन, ग्रीनटस, केडी स्टार, वेनड्रिल कफ सिरप है। इनका उपयोग नशे
के लिए भी युवा कर रहे हैं। उसी प्रकार नींद के लिए उपयोग की जाने वाली डायजेपाम, एटीवैन, रेस्टील, एविल, एटीजोलाम, अल्क्राजोलाम गोली नशे के
लिए उपयोग होती है।
डेक्सट्राप्रोपोज्कीफेन, पेन्टाजोसीन, ब्रुफेनॉफिन, मॉरफीन सल्फेट, ट्रमाडॉल हायड्रोक्लोराइड, ब्युट्रॉफैनोल दर्दनिवारक दवा है। इसका उपयोग भी नशे के लिए हो रहा है। ब्रेड, कोल्ड ड्रिंक्स में लेते
हैं दवा कफ सिरप की दवा को छोड। दें तो
गोलियों के स्वरूप में जो दवाएं आती हैं। दवा में मौजूद 'कोडीन' घटक की वजह से नशा होता
है।
कफ सिरप में इसका प्रमाण मौजूद है। इसके
अलावा दर्द निवारक दवाइयां, नींद की दवाइयों का भी
उपयोग खुलेआम नशे के तौर पर किया जा रहा है। खासियत यह है कि संबंधित दवाइयां दवा दुकानों की
जगह पान दुकानों व टपरियों पर मिलती हैं।