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- शादी से डरने का सही कारण……?
Posted by : achhiduniya
20 January 2015
जब तक सिंगल हैं तब तक स्वंतत्र हैं और.....?
आज बहुत सी भारतीय लड़कियां देर से शादी करना
चाहती हैं। इसके पीछे केवल सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता ही नहीं है बल्कि ऐसे अनेक
कारण हैं जिनके कारण लड़कियां देर से शादी करना चाहती हैं। माँ का लाड प्यार लड़कियों को माँ से मिलने वाला लाड-प्यार और
देखभाल भी इसका कारण है। अपनी माँ से मिलने वाले प्यार के कारण वो सोचती हैं कि शादी
के बाद उनसे इतना प्यार कौन करेगा और वो इसको मिस करेंगी। अपनी मम्मी की कहीं बातें
कि 'तुम्हारे ससुराल वाले तुम्हारे नखरे मेरी तरह बर्दाश्त नहीं
करेंगे' यह भी उनमें एक डर पैदा करता है।
पहचान बदलना भारत में शादी के बाद महिला का सरनेम भी बदल जाता है। कई समुदायों में
तो उसका पहला नाम भी बदल जाता है। कई लड़कियों के लिए यह एक बड़ा चिंता का विषय है। जिस
पहचान के साथ उन्होंने जिंदगी की शुरुआत की और जिसके साथ इतने साल बिताये वह पहचान
अब बदल जायेगी, यह उन्हें चिंतित करता है। बड़े बदलाव की
आशंका हम सब जानते हैं कि बहुत से लोगों के लिए बदलाव इतना आसान नहीं होता है,
तो महिलाएं इससे अछूती कैसे रह सकती हैं? इसलिए
घर, परिवार , जीवनशैली आदि में बदलाव जैसे
विचार ही उनके सिर में दर्द पैदा कर देते हैं। लेकिन शादी से डरने का यह सही कारण नहीं
है।.
कैरियर से सम्बंधित दुविधा बहुत सी लड़कियों का मानना है
कि शादी से उनकी महत्वाकांक्षाएं और करियर प्लान्स चोपट हो जाएंगे। खास तौर पर ऐसा
तब होता है जब लड़की को शादी के बाद दूसरे शहर या दूसरे देश में जाना पड़ता है,
या फिर तुरंत नई जगह पर नौकरी करनी पड़ती है। और कोई भी नहीं चाहेगा कि
जिस कैरियर के लिए इतनी मेहनत की उसमें कोई विराम लगे। लड़कियां मानती हैं कि जब तक
वे सिंगल हैं तब तक वे स्वंतत्र हैं और जो उनके मन में आये वो कर सकती हैं। और शादी
होते ही स्थिति बदल जायेगी। उनमें यह डर पैदा हो जाता है कि शादी के बाद उनका पति और
इन -लॉज़ जो कहेंगे वो ही करना होगा और उनके सपने अधूरे रह जायेंगें, यह एक बड़ा कारण जिससे उनके मन में शादी के प्रति विपरीत सोच पैदा हो जाती है।
पूरे परिवार के साथ रहना भारत में शादियों में सिर्फ दो लोग नहीं जुड़ते हैं बल्कि उनके
परिवार भी जुड़ते हैं। मुख्यतः रिश्तेदारों की एक बड़ी लिस्ट होती है जिसको नवविवाहिता
को समझना पड़ता है। चाहे वह उन्हें पसंद नहीं करे लेकिन फिर भी उनके साथ अच्छा व्यवहार
करना पड़ता है। इससे भी ज्यादा वह अचानक ही किसी की भाभी, चाची
और ना जाने क्या-क्या बन जाती है? उसे सिर्फ ये रिश्ते ही नहीं
डराते बल्कि शादी के बाद नए लोगों के बीच संतुलन बिठाना भी उन्हें डराता है। .
विवाहिता का ठप्पा और कानून कायदे शादी के बाद हर भारतीय महिला से आशाएं
होती हैं कि उसके बच्चे हों, वह उनकी देखभाल करें और उनकी शिक्षा
के लिए पैसे बचाएं।
चूँकि आजकल की महिलाएं 'माई लाइफ,
माई मंत्रा, को फॉलो करती हैं इसलिए भी शादी का
विचार उनके लिए डराने वाला होता है। जिम्मेदारी बढ़ना शादी के बाद महिला की जिम्मेदारी
कई गुना बढ़ जाती है। इनमें से बहुत सी महिलाओं को कुकिंग, साफ़
सफाई और घर के अन्य जिम्मेदारियों का निर्वहन करना पड़ता है। लड़कियां जानती हैं जब कोई
माँ अपने बेटे के लिए बहु तलाशती है तो उसकी कोशिश रहती है कि लड़की घर के काम में दक्ष
हो ताकि उनका हाथ बटा सकें। कोई भी महिला इसमें सहज महसूस नहीं करती है।
क्या आपको
लगता है कि ऐसा सोचा जाना चाहिए? कमिटमेंट पूरा करने का डर सिर्फ
पुरुष ही कमिटमेंट से नहीं डरते बल्कि महिलाएं भी रिश्ते निभाने से डरती हैं। कहीं
यह गलत निर्णय ना हो या कहीं चीजें गलत ना हो, और भी कहीं ऐसा
तो नहीं होगा? ऐसा सोचते सोचते लड़कियों को शादी से डर लगने लगता
है।