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- ठंडे ठंडे पानी से नहाना चाहिए .......
Posted by : achhiduniya
10 January 2015
स्नान करे मस्त.....
मन-आत्मा की शुद्धि के लिए सत्संग ,ज्ञान,विचार, अच्छे संस्कार
जरूरी होते है वैसे ही शरीर शुद्धी के लिए स्नान एक महत्वपूर्ण कार्य होता है। लोग स्नान को
एक फालतू कर्मकांड की तरह निबटाते हैं,जबकि इसे स्वास्थ्य
प्राप्ति और उसके रखरखाव के एक अनिवार्य अंग की तरह किया जाना चाहिए।
सबसे पहली
बात तो यह है कि नहाने के लिए जो जल हो वह शरीर के तापमान से थोड़ा ठंडा होना
चाहिए। किसी भी मौसम में अधिक गर्म और अधिक ठंडे जल से स्नान करना हानिकारक है।शरीर
मे अनेक रोम यानी बाल होते जिससे शरीर का तापमान नियंत्रित होता है। इनही बालो के
जड़ो को रोम छिद्र कहते है।जिनसे गर्मी के दिनो मे पसीना और दुर्गंध आती है।
अधिक
मेहनत करने,तेज दौड़ने,घबराहट मे या
बीमार होने पर भी पसीना छूटता है। अब अगर आप कितने भी अच्छे कपड़े पहनेगे तो क्या
....?शरीर से निकलने वाली दुर्गंध को रोक पाएंगे शायद हा
क्योकि आप बाजार मे मिलने वाले डीओ स्प्रे या खुशबूदार पावडर लगाएंगे लेकिन यह
स्थाई समाधान नही, इससे आपके जेब [पैसो] के साथ शरीर पर बुरा
प्रभाव पड़ता है। सर्दी के मौसम में पानी बहुत ठंडा होता है। उसमें उतना ही गर्म
पानी मिलाना चाहिए कि पानी का तापमान शरीर के लगभग बराबर हो जाय अर्थात् हाथ
डुबोने पर ठंडा न लगे।
दूसरी बात यह है कि नहाने के साबुन का उपयोग करना बहुत
हानिकारक है।क्योकि साबुन केमिकल्स से बने होते हैं जो हमारे रोमछिद्रों में घुसकर
रक्त और त्वचा को प्रदूषित करते हैं। इसलिए साबुन के स्थान पर बेसन या गेहु के आटे
से,नीम के पत्तो से तथा रूमाल के आकार के खुरदरे तौलिए को
पानी में डुबो-डुबोकर उससे शरीर के सभी अंगों को रगड़ना चाहिए।
इससे रोमकूप खुल
जाएंगे, पसीने के द्वारा गंदगी भी निकलेगी और रगड़ने से मालिश
का लाभ भी मिलेगा। नहाते समय गले के अन्दर अंगूठा या अंगुली से हमें अपने काग और
तालू की मालिश करनी चाहिए। इससे जमा हुआ कफ निकलेगा और आंखों की रोशनी भी बढ़ेगी।
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