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- इंसान के पास दो दिमाग.........?
Posted by : achhiduniya
13 February 2015
ये संवेदक फाइबर..आर ओ आर आई न्यूरॉन्स...
प्रत्येक मिलीसेकेंड पर सूचनाओं की विभिन्न धाराएं मस्तिष्क में
प्रवाहित होती रहती हैं, इसमें शोधकर्ताओं द्वारा खोजे गए संकेतक भी शामिल
हैं। अपने अध्ययन में साल्क वैज्ञानिकों ने इस संवेदी मोटर नियंत्रण प्रणाली के
विवरण से पर्दा हटाया है। अत्याधुनिक छवि प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से इन्होंने
तंत्रिका फाइबर का पता लगाया है, जो पैर में लगे संवेदकों की
मदद से रीढ़ की हड्डी तक संकेतों को ले जाते हैं।
अमेरिकी शोधकर्ताओं ने मनुष्यों की रीढ़ की हड्डी में एक छोटे
मस्तिष्क का पता लगाया है, जो हमें भीड़ के बीच से गुजरते वक्त या सर्दियों
में बर्फीली सतह से गुजरते वक्त संतुलन बनाने में मदद करती है और फिसलने या गिरने
से बचाती है। इस तरह के कार्य अचेतन अवस्था में होते हैं। हमारी रीढ़ की हड्डी में
मौजूद तंत्रिका कोशिकाओं के समूह संवेदी सूचनाओं को इकट्ठा कर मांसपेशियों के
आवश्यक समायोजन में मदद करते हैं। कैलिफोर्निया स्थित एक स्वतंत्र वैज्ञानिक
अनुसंधान संस्थान 'साल्क' के
जीवविज्ञानी मार्टिन गोल्डिंग के मुताबिक हमारे खड़े होने या चलने के दौरान पैर के
तलवों के संवेदी अंग इस छोटे दिमाग को दबाव और गति से जुड़ी सूचनाएं भेजते हैं।
उनके मुताबिक इस अध्ययन के जरिए हमें हमारे शरीर में मौजूद 'ब्लैक
बॉक्स' के बारे में पता चला। हमें आज तक नहीं पता था कि ये
संकेत किस तरह से हमारी रीढ़ की हड्डी में इनकोड और संचालित होते हैं। शोधकर्ताओं
पता लगाया है कि ये संवेदक फाइबर आर ओ आर आई न्यूरॉन्स नाम के तंत्रिकाओं के अन्य
समूहों के साथ रीढ़ की हड्डी में मौजूद होते हैं। इसके बदले आरओआरआई न्यूरॉन
मस्तिष्क के मोटर क्षेत्र मं। मौजूद न्यूरॉन से जुड़े होते हैं, जो मस्तिष्क और पैरों के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध हो सकते हैं।
गोल्डिंग
की टीम ने जब साल्क में आनुवांशिक रूप से बढ़े हुए चूहे की रीढ़ की हड्डी में
आरओआरआई न्यूरॉन को निष्क्रिय कर दिया तो पाया कि इसके बाद चूहे गति के बारे में
कम संवेदनशील हो गए। गोल्डिंग की प्रयोगशाला के लिए शोध करने वाले शोधकर्ता स्टीव
बॉरेन ने कहा कि हमें लगता है कि ये न्यूरॉन सभी सूचनाओं को एकत्र कर पैर को चलने
के लिए निर्देश देते हैं। यह शोध तंत्रिकीय विषय और चाल के नियंत्रण की निहित
प्रक्रियाओं व आसपास के परिवेश का पता लगाने के लिए शरीर के संवेदकों पर विस्तृत
विचार पेश करती है।[साभार]