- Back to Home »
- Knowledge / Science »
- पॉपकॉर्न कि उछल कूद का राज.....?
Posted by : achhiduniya
14 February 2015
मक्के कि कुर्बानी को भी जरूर.....
आपने
कभी सोचा है कि पॉपकॉर्न इतना उछल कूद क्यू करता है...? नही तो कभी गरम
तवे पर बैठ कर देखे बिना कहे-सुने-बताए सब ज्ञान आ जाएगा। ये तो वही जन सकता है जिस
पर बीतती है, वो ही अपना दर्द बया कर सकता है खैर अब आपको असली बात बताते है जो पॉपकॉर्न
ने फ्रांसीसी वैज्ञानिकों को बताई पॉपकॉर्न, बायोमैकेनिकल साइंस का अद्भुत उदाहरण है। फ्रांस के प्रतिष्ठित इकोल
पॉलीटेक्निक के इमानुएल विरोट और अलेक्जेंडर पोनोमारेंको ने इसे पूरी तरह समझने की
ठानी। उन्होंने कई हाई स्पीड कैमरों की मदद से मक्के के दाने के पॉपकॉर्न बनने की
प्रक्रिया रिकॉर्ड की। हर कैमरा प्रति सेकेंड 2,900 तस्वीरें
खींचने लगा।
इन तस्वीरों और कंप्यूटर डाटा से पता चला कि 100 डिग्री सेल्सियस की गर्मी पाते ही मक्के के दाने के भीतर मौजूद नमी भाप
बनने लगती है। जब तापमान 180 डिग्री पहुंच जाता है तो मक्के
के दाने के भीतर भाप की वजह से 10 बार का दबाव पैदा हो जाता
है। दाने का बाहरी सख्त कवच इस दबाव को बर्दाश्त नहीं कर पाता और पट की आवाज कर
टूट जाता है। सारी भाप बाहर निकल जाती है। टूटने के साथ ही एक बार फिर दबाव का
विज्ञान शुरू होता है। भाप बाहर निकलते ही दाने के भीतर का दबाव अचानक बहुत ही कम
हो जाता है और छिलके के छोटे छोटे टुकड़े अंदर की ओर खिंचे चले जाते हैं।
यही कारण
है कि पॉपकॉर्न का सफेद मुलायम हिस्सा बाहर रहता है। इमानुएल विरोट कहते हैं,
हमें पता चला कि करीब 180 डिग्री सेल्सियस का
तापमान बहुत अहम है, इससे फर्क नहीं पड़ता कि दाने का आकार
कैसा है। आखिर में पॉपकॉर्न बनने की प्रक्रिया कुछ मिलीसेकेंड के भीतर होती है। वैज्ञानिक
आधार पर कहा जाए तो गर्मी की वजह से बाहरी कवच में दरार पड़ने के 0.09 सेकेंड के भीतर पटाक से पॉपकॉर्न बन जाता है। पॉपकॉर्न को कई लोग सिनेमा
हॉल से जोड़कर देखते हैं। कई लोगों को मेला या सैर सपाटा याद आता है। लेकिन अगर कभी
मौका मिले तो इसकी मक्के कि कुर्बानी को भी जरूर याद करे। [साभार]