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- बेमौसम का कहर....निगरानी के लिए पत्निया मजबूर......
Posted by : achhiduniya
30 March 2015
विक्राल रूप धारण करे उससे पहले ही सचेत होना जरूरी.......
मित्रो प्रणाम.......आज के बदलते मौसम का दोषी कौन...? है। वातावरण मे हो रहे बदलाव के जिम्मेदार जाने-अंजाने मे
हम ही होते है,क्योकि हमारा अधिकतर वक्त दुसरे को दोष देने, दुसरे की गलतियॉ निकालने मे जाता है अगर उस वक्त मे से थोड़ा सा भी वक्त
हम पर्यावरण के संरक्षण के लिए,पेड़ लगाने के लिए निकले तो
जहा एक तरफ शुद्ध हवा मिलेगी वही भविष्य मे होने वाले [ग्लोबर वार्मिंग] पर्यावरण
के बदलाव मे हो रहे नकारात्मक परिणामो को रोका जा सकता है। साथ ही किसानो की आत्म
हत्या को भी रोका जा सकता है, क्योकि वे ही हमारे अन्न दाता
होते है। शहरो मे बड़ते कांक्रीटों [सीमेंट,लोहे रेती यानी
बिल्डिंगो ] के जालो के कारण पेड़ो की
हो रही कटाई,हरयाली की कमी से बड़ती बिमारियॉ कोई विक्राल रूप धारण करे उससे पहले ही
सचेत होना जरूरी है। होली के पहले बारिश और ओलों से काफी फसलें
बर्बाद हो गई थीं। बेमौसम हो रही बारिश और ओलों ने फसलों को बड़े पैमाने पर नुकसान
उठाना पड़ रहा है। बुंदेलखंड में भी किसानों को खासा नुकसान उठाना पड़ा है।महाराष्ट्र मे भी किसानों की स्थिती कुछ ऐसी ही है। ऐसे में कई किसान आत्महत्या भी कर रहे हैं।
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इसी के मद्देनजर किसानों की पत्नियां चौकन्नी हो गईं हैं। वे अपने पतियों की
सावधानी से निगरानी कर रही हैं। बुंदेलखंड में 70-80 फीसदी के लगभग फसलें खराब हो गई हैं। इस वजह
से बुंदेलखंड के गावों में दुख और परेशानी का माहौल है।
ऐसे हालात में किसानों की
पत्नियां परेशान और चिंतित हैं। उन्हें डर है कि उनके पति आत्महत्या न कर लें। कई
किसानों ने कर्ज लेकर खेती की थी इसकी वजह से वे और ज्यादा परेशान हैं। इसके
बाद कई किसानो के खुदकुशी की
खबरें आईं।
इससे पहले कि सारे किसान आत्म हत्या करने पर मजबूर
हो जाए और हम बुखे मरे समय रहते सचेत हो जाए पेड़ लगाए हरयाली बड़ाए और वातावर्ण,पर्यावरण को बचाने मे यथा संभव योगदान देने का प्रयास
करे।
आपका मित्र अनिल भवानी ।