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- रोटी की दो परते क्यू..बनती है.....?
Posted by : achhiduniya
23 April 2015
गूँथा आटा आत्माओ और भूतो को आमंत्रित
करता......
बड़े बुजुर्ग कहते है कि आटे को ज्यादा देर तक गुँधके नही रखना
चाहिए नही तो वह सुख जाता है। जब भी रोटिया पकानी हो तब ही ताजे आटे का प्रयोग
करना चाहिए। वही यह भी मान्यता है कि गूँथा हुआ आटा रात भर फ्रिज मे रख कर दूसरे
दिन उपयोग नही करना चाहिए क्योकि गूँथने के काफी समय से उपयोग न करने के कारण आटा
आत्माओ और भूतो को आमंत्रित करता है।
आप सोचेंगे यह कैसे......?जब भी पित्रों को पिंड दान किया जाता
है तो इसी प्रकार गूँथे हुए आटे का उपयोग किया जाता जिसे पूजा कि समाप्ती के बाद
किसी जगह पर रख दिया जाता है या जल अर्थात पानी मे प्रवाहित किया जाता है।खैर आगे
इस बात का ध्यान अव्शय रखे।अब बात करते है रोटी की दो परते क्यू..बनती है.....? रोटी बनाने के लिए प्रारम्भ में जब
पानी की सहायता से आटा गूँधा जाता है तब गेहूँ में विद्यमान प्रोटीन एक लचीली परत
बना लेती है जिसे लासा या ग्लूटेन कहते हैं।
लासा की विशेषता यह है कि वह अपने
अदंर कार्बन-डाई-आक्साइड सोख लेती है, इसी कारण आटा गूँधने के बाद
फूला रहता है। रोटी को सेंकने पर लासा में बंद कार्बन-डाई-आक्साइड फैलती है और रोटी,चपाती के ऊपरी भाग को फुला देती
है। जो भाग तवे के साथ चिपका होता है उसकी पपड़ी-सी बन जाती है, इसी प्रकार दूसरी तरफ से सेंकने
पर रोटी,चपाती के
दूसरी तरफ भी पपड़ी बन जाती है।
इन दो पपड़ियों के बीच बंद कार्बन-डाई-आक्साइड गैस
और भाप रोटी,चपाती की
दो अलग-अलग पर्ते बना देती हैं।कार्बन-डाई-आक्साइट गैस बनने के लिए आटे में लासा की उपस्थिति
आवश्यक है।
गेहूँ की रोटी खूब फूलती है परन्तु जौ, बाजरा मक्का आदि की रोटी नहीं फूलती या कम फूलती है तथा
इनमें परतें भी नहीं बनतीं क्योंकि इन अनाजों में लासा की कमी होती है।