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- एक्शन ही एक्शन..... 'बागी' फिल्म समीक्षा
Posted by : achhiduniya
30 April 2016
यह
फिल्म सिया और रॉनी (टाइगर श्राफ / श्रद्धा कपूर) की एक्शनपैक लव स्टोरी है, जिसमें राघव (सुधीर बाबू) विलेन बन जाते हैं, क्योंकि
वे सिया को अगवा करते हैं। रॉनी बहादुरी दिखाते हुए सिया को रिहा कराने का काम
करते हैं। इस स्टोरी का फ्लैशबैक है, सिया और रॉनी की लव
स्टोरी, जिसमें सिया के पापा विलेन बनते हैं और उनके रोमांस
की गाडी में ब्रेक लगवा देते हैं। कंफ्यूजन की स्थिति में सिया और रॉनी की लव
स्टोरी वहीं रुक जाती है, जो सालों बाद आगे बढती है। फिल्म
मसालों के साथ आगे बढती है और जाने-पहचाने क्लाइमेक्स पर जाकर इसका दि एंड हो जाता
है। एक्शन से भरी फिल्मों को कामयाबी का रास्ता माना जाता है, लेकिन बिना अच्छी कहानी के ये रास्ता आसानी से तय नहीं होता। साजिद नाडियाडवाला की कंपनी में बनी शब्बीर खान
की फिल्म 'बागी' के साथ भी ऐसा ही है।
फिल्म में एक्शन तो भरपूर है, लेकिन कहानी के नाम पर फिल्म बहुत कुछ नहीं दे पाती और ये कमी फिल्म की तमाम दूसरी खूबियों पर हावी हो जाती है। एक्शन इस फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष है। इसमें हीरो के साथ हीरोइन भी एक्शन सीन करती है। विलेन भी हीरो को जमकर टक्कर देता है। वाकई फिल्म के एक्शन सीन देखने लायक हैं। हालांकि ये हॉलीवुड की फिल्मों की नकल लगते हैं, फिर भी प्रभावशाली हैं। अपनी पहली फिल्म 'हीरोपंती' की तरह इसमें भी टाइगर श्राफ ने सबसे ज्यादा मेहनत एक्शन सीन को लेकर ही की। मगर इमोशनल और रोमांटिक सीन में टाइगर में ज्यादा सुधार नहीं आया है। श्रद्धा कपूर बस ग्लैमर डॉल के अवतार में हैं। विलेन के रूप में नजर आए तेलुगू फिल्मों के स्टार सुधीर बाबू की एंट्री सुपर है। वे कई सीन में विलेन कम, हीरो ज्यादा लगते हैं। एक्शन सीन में तो वे लाजवाब हैं।फिल्म के तमाम सीन ऐसे हैं, जो हजारों फिल्मों में देखे जा चुके हैं। खास तौर पर एक्शन के मुकाबले रोमांटिक पार्ट तो कमजोर ही लगता है।
कहानी के अलावा एक और कमजोरी म्युजिक को लेकर है। फिल्म में चार-चार म्युजिक डायरेक्टर होने के बाद भी थिएटर से बाहर निकलकर एक भी गाना याद नहीं रहता। म्युजिक सामान्य स्तर से ज्यादा नहीं रहा है, जबकि रोमांटिक-एक्शन फिल्मों में म्युजिक का रोल हमेशा बडा रहा है। निर्देशक के रूप में शब्बीर खान ने अगर कहानी पर थोडी मेहनत की होती तो उनका काम ज्यादा बेहतर होता। कुल मिलाकर 'बागी' का आधार एक्शन ही एक्शन है, जिसे मसालेदार फिल्मों के दर्शक पसंद करेंगे।
फिल्म में एक्शन तो भरपूर है, लेकिन कहानी के नाम पर फिल्म बहुत कुछ नहीं दे पाती और ये कमी फिल्म की तमाम दूसरी खूबियों पर हावी हो जाती है। एक्शन इस फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष है। इसमें हीरो के साथ हीरोइन भी एक्शन सीन करती है। विलेन भी हीरो को जमकर टक्कर देता है। वाकई फिल्म के एक्शन सीन देखने लायक हैं। हालांकि ये हॉलीवुड की फिल्मों की नकल लगते हैं, फिर भी प्रभावशाली हैं। अपनी पहली फिल्म 'हीरोपंती' की तरह इसमें भी टाइगर श्राफ ने सबसे ज्यादा मेहनत एक्शन सीन को लेकर ही की। मगर इमोशनल और रोमांटिक सीन में टाइगर में ज्यादा सुधार नहीं आया है। श्रद्धा कपूर बस ग्लैमर डॉल के अवतार में हैं। विलेन के रूप में नजर आए तेलुगू फिल्मों के स्टार सुधीर बाबू की एंट्री सुपर है। वे कई सीन में विलेन कम, हीरो ज्यादा लगते हैं। एक्शन सीन में तो वे लाजवाब हैं।फिल्म के तमाम सीन ऐसे हैं, जो हजारों फिल्मों में देखे जा चुके हैं। खास तौर पर एक्शन के मुकाबले रोमांटिक पार्ट तो कमजोर ही लगता है।
कहानी के अलावा एक और कमजोरी म्युजिक को लेकर है। फिल्म में चार-चार म्युजिक डायरेक्टर होने के बाद भी थिएटर से बाहर निकलकर एक भी गाना याद नहीं रहता। म्युजिक सामान्य स्तर से ज्यादा नहीं रहा है, जबकि रोमांटिक-एक्शन फिल्मों में म्युजिक का रोल हमेशा बडा रहा है। निर्देशक के रूप में शब्बीर खान ने अगर कहानी पर थोडी मेहनत की होती तो उनका काम ज्यादा बेहतर होता। कुल मिलाकर 'बागी' का आधार एक्शन ही एक्शन है, जिसे मसालेदार फिल्मों के दर्शक पसंद करेंगे।