- Back to Home »
- Judiciaries »
- भ्रामक विज्ञापन और सेलेब्रिटी पर कानूनी शिकंजा कसा जा सकता है जाने कैसे............?
Posted by : achhiduniya
26 May 2016
भारत
का संविधान बोलने की स्वतंत्रता देता है पर जब विज्ञापन लोगों को भ्रमित करते हैं
और सच्चाई को तोड-मरोड कर क्रय-व्यवहार को प्रभावित करते हैं तो उन्हें भ्रामक
विज्ञापन कहते हैं। चाहे वह एक छोटा उत्पाद जैसे साबुन, या कास्मेटिक क्रीम हो या घर या किसी बैंक की स्कीम में निवेश पर क्या
ब्रांड एंबेसिडर की कोई जिम्मेदारी उपभोक्ताओं की तरफ होती है ? सेलेब्रिटी या कंपनी विज्ञापन
द्वारा बढा-चढा कर जो दावे करते हैं वे पूरे नहीं होते तो उन्हें जिम्मेदार ठहराया
जा सकता है...? भारत में भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए
बारह कानून उपलब्ध हैं। इनमें से सबसे प्रमुख है उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
इसके अंतर्गत अगर कोई भ्रामक विज्ञापन द्वारा लोगों को गुमराह करता
है तो कंपनी के खिलाफ शिकायत की जा सकती है।
परंतु सेलिब्रिटी के खिलाफ कोई कडे
कदम नहीं उठाए जाते हैं तथा खाद्य सुरक्षा और मानकीकरण कानून 2006 के अनुसार धारा 24 के अंतर्गत अगर कोई विज्ञापन द्वारा
झूठे वादे करता है और बाद में पाया जाता है कि वह भ्रामक विज्ञापन था तो कंपनी के
साथ-साथ सेलेब्रिटी को भी जिम्मेदार ठहराया जाएगा। सेलेब्रिटी की मौजूदा कानूनों
में इतनी जवाबदेही नहीं होती है पर वे लोगों को मानसिक रूप से बहुत प्रभावित करते
हैं। कई बार फिल्मी सितारे विज्ञापन में
ट्रैफिक नियमों को तोडते दिखाए जाते हैं और ऐसे खतरनाक स्टंट करते हैं जिससे
बच्चों और युवाओं को गलत संदेश जाता है। गोरेपन की क्रीमें भी रंगभेद को बढावा
देती हैं। आजकल खिलाडी भी बहुत सी हाउसिंग स्कीम के ब्रांड एंबेसिडर बने हैं। कई
बार पाया जाता है कि जैसे घर का विज्ञापन दिया गया पर असलियत में वहां जगह पर मूल
सुविधाएं भी नहीं हैं।
अभी उपभोक्ता संरक्षण कानून में संशोधन करने की बात की जा रही है। एक परिषद द्वारा अगर सेलेब्रिटी जिम्मेदार पाया जाता है तो पहले जुर्म के लिए 10 लाख का जुर्माना और दो साल जेल तथा दोबारा जुर्म के लिए पचास लाख जुर्माना तथा पांच साल सजा देने का प्रस्ताव है। अत: यह ब्रांड एंबेसिडर की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वे जो भी विज्ञापन करते हैं उनके सारे पहलू देखकर ही उस ब्रांड से जुडे और अपनी तरफ से भी एक ऑडिट करवाएं। उपभोक्ता भी कोई भी उत्पाद का चयन करते समय विवेक का इस्तेमाल करे और अगर उसे लगता है कोई विज्ञापन भ्रामक है तो उसकी प्रति या (फोटोकॉपी) या फोटो खींचकर www.gama.gov.in पर शिकायत कर सकता है। मित्र डॉ शीतल कपूर के द्वारा अच्छी दुनिया की तरफ से जनहित के लिए जानकारी
अभी उपभोक्ता संरक्षण कानून में संशोधन करने की बात की जा रही है। एक परिषद द्वारा अगर सेलेब्रिटी जिम्मेदार पाया जाता है तो पहले जुर्म के लिए 10 लाख का जुर्माना और दो साल जेल तथा दोबारा जुर्म के लिए पचास लाख जुर्माना तथा पांच साल सजा देने का प्रस्ताव है। अत: यह ब्रांड एंबेसिडर की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वे जो भी विज्ञापन करते हैं उनके सारे पहलू देखकर ही उस ब्रांड से जुडे और अपनी तरफ से भी एक ऑडिट करवाएं। उपभोक्ता भी कोई भी उत्पाद का चयन करते समय विवेक का इस्तेमाल करे और अगर उसे लगता है कोई विज्ञापन भ्रामक है तो उसकी प्रति या (फोटोकॉपी) या फोटो खींचकर www.gama.gov.in पर शिकायत कर सकता है। मित्र डॉ शीतल कपूर के द्वारा अच्छी दुनिया की तरफ से जनहित के लिए जानकारी