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- गाय प्रकती का एक अनमोल तोहफा.........जाने कैसे.......?
Posted by : achhiduniya
28 May 2016
अमेरिका के कृषि विभाग द्वारा प्रकाशित हुई पुस्तक “THE COW IS A
WONDERFUL LABORATORY ” के अनुसार प्रकृति ने समस्त जीव-जंतुओं और सभी दुग्धधारी जीवों में केवल
गाय ही है जिसे ईश्वर ने 180 फुट (2160 इंच ) लम्बी आंत दी है जो की एनी पशुओ में ऐसा नहीं है जिसके कारण गाय जो
भी खाती-पीती है वह अंतिम छोर तक जाता है। लाभ :- जिस प्रकार दूध से मक्खन निकालने
वाली मशीन में जितनी अधिक गरारियां लगायी जाती है उससे उतना ही वसा रहित मक्खन
निकलता है, इसीलिये गाय का दूध सर्वोत्तम है। गो वात्सल्य :-
गौ माता बच्चा जनने के 18 घंटे तक अपने बच्चे के साथ रहती है
और उसे चाटती है इसीलिए वह लाखो बच्चों में भी वह अपने बच्चे को पहचान लेती है.
जबकि भैंस और जरसी अपने बच्चे को नहीं पहचान पायेगी। गाय जब तक अपने बच्चे को अपना दूध नहीं पिलाएगी तब तक दूध नहीं देती है, जबकि भैस, जर्सी होलिस्टयन के आगे चारा डालो और दूध दुह लो। बच्चो में क्रूरता इसीलिए बढ़ रही है क्योकि जिसका दूध पी रहे है उसके अन्दर ममता नहीं है। खीस :- बच्चा देने के गाय के स्तन से जो दूध निकलता है उसे खीस, चाका, पेवस, कीला कहते है , इसे तुरंत गर्म करने पर फट जाता है। बच्चा देने के 15 दिनों तक इसके दूध में प्रोटीन की अपेक्षा खनिज तत्वों की मात्रा अधिक होती है, लेक्टोज , वसा ( फैट ) एवं पानी की मात्रा कम होती है। खीस वाले दूध में एल्व्युमिन दो गुनी, ग्लोव्लुलिन 12-15 गुनी तथा एल्युमीनियम की मात्रा 6 गुनी अधिक पायी जाती है। लाभ:- खीज में भरपूर खनिज है यदि काली गौ का दूध ( खीझ) एक हफ्ते पिला देने से वर्षो पुरानी टीबी ख़त्म हो जाती है।
सींग :- गाय की सींगो का आकर सामान्यतः पिरामिड जैसा होता है , जो कि शक्तिशाली एंटीना की तरह आकाशीय उर्जा ( कोस्मिक एनर्जी ) को संग्रह करने का कार्य सींग करते है। गाय का ककुद्द ( ढिल्ला ) :- गाय के कुकुद्द में सुर्य्केतु नाड़ी होती है जो सूर्य से अल्ट्रावायलेट किरणों को रोकती है, 40 मन दूध में लगभग 10 ग्राम सोना पाया जाता है जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढती है इसलिए गाय का घी हलके पीले रंग का होता है। गाय का दूध :- गाय के दूध के अन्दर जल 87 % वसा 4 %, प्रोटीन 4% , शर्करा 5 % , तथा अन्य तत्व 1 से 2 % प्रतिशत पाया जाता है। गाय के दूध में 8 प्रकार के प्रोटीन , 11 प्रकार के विटामिन्स , गाय के दूध में ‘ कैरोटिन ‘ नामक प्रदार्थ भैस से दस गुना अधिक होता है। भैस का दूध गर्म करने पर उसके पोषक ज्यादातर ख़त्म हो जाते है परन्तु गाय के दूध के पोषक तत्व गर्म करने पर भी सुरक्षित रहता है। गाय का गोमूत्र :- गाय के मूत्र में आयुर्वेद का खजाना है, इसके अन्दर ‘ कार्बोलिक एसिड ‘ होता है जो कीटाणु नासक है, गौ मूत्र चाहे जितने दिनों तक रखे ख़राब नहीं होता है इसमें कैसर को रोकने वाली ‘ करक्यूमिन ‘ पायी जाती है।
गौ मूत्र में नाइट्रोजन,फास्फे, यूरिक एसिड, पोटेशियम, सोडियम, लैक्टोज , सल्फर, अमोनिया, लवण रहित विटामिन ए वी सी डी ई, इन्जैम आदि तत्व पाए जाते है। देसी गाय के गोबर-मूत्र-मिश्रण से ‘ प्रोपिलीन ऑक्साइड ‘ उत्पन्न होती है जो बारिस लाने में सहायक होती है। इसी के मिश्रण से ‘ इथिलीन ऑक्साइड ‘ गैस निकलती है जो ऑपरेशन थियटर में काम आता है। गौ मूत्र में मुख्यतः 16 खनिज तत्व पाये जाते है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढाता है। गाय का शरीर :- गाय के शरीर से पवित्र गुग्गल जैसी सुगंध आती है जो वातावरण को शुद्ध और पवित्र करती है। जननी जानकार दूध पिलाती , केवल साल छमाही भर, गोमाता पय-सुधा पिलाती, रक्षा करती जीवन भर । मित्र Rajesh Maheshwari जी के द्वारा अच्छी दुनिया की तरफ आप सभी के साथ सांझा की गई जानकारी इसे जन-जन तक जरूर पहुचाए गौ माता की रक्षा का प्रण करे।
जबकि भैंस और जरसी अपने बच्चे को नहीं पहचान पायेगी। गाय जब तक अपने बच्चे को अपना दूध नहीं पिलाएगी तब तक दूध नहीं देती है, जबकि भैस, जर्सी होलिस्टयन के आगे चारा डालो और दूध दुह लो। बच्चो में क्रूरता इसीलिए बढ़ रही है क्योकि जिसका दूध पी रहे है उसके अन्दर ममता नहीं है। खीस :- बच्चा देने के गाय के स्तन से जो दूध निकलता है उसे खीस, चाका, पेवस, कीला कहते है , इसे तुरंत गर्म करने पर फट जाता है। बच्चा देने के 15 दिनों तक इसके दूध में प्रोटीन की अपेक्षा खनिज तत्वों की मात्रा अधिक होती है, लेक्टोज , वसा ( फैट ) एवं पानी की मात्रा कम होती है। खीस वाले दूध में एल्व्युमिन दो गुनी, ग्लोव्लुलिन 12-15 गुनी तथा एल्युमीनियम की मात्रा 6 गुनी अधिक पायी जाती है। लाभ:- खीज में भरपूर खनिज है यदि काली गौ का दूध ( खीझ) एक हफ्ते पिला देने से वर्षो पुरानी टीबी ख़त्म हो जाती है।
सींग :- गाय की सींगो का आकर सामान्यतः पिरामिड जैसा होता है , जो कि शक्तिशाली एंटीना की तरह आकाशीय उर्जा ( कोस्मिक एनर्जी ) को संग्रह करने का कार्य सींग करते है। गाय का ककुद्द ( ढिल्ला ) :- गाय के कुकुद्द में सुर्य्केतु नाड़ी होती है जो सूर्य से अल्ट्रावायलेट किरणों को रोकती है, 40 मन दूध में लगभग 10 ग्राम सोना पाया जाता है जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढती है इसलिए गाय का घी हलके पीले रंग का होता है। गाय का दूध :- गाय के दूध के अन्दर जल 87 % वसा 4 %, प्रोटीन 4% , शर्करा 5 % , तथा अन्य तत्व 1 से 2 % प्रतिशत पाया जाता है। गाय के दूध में 8 प्रकार के प्रोटीन , 11 प्रकार के विटामिन्स , गाय के दूध में ‘ कैरोटिन ‘ नामक प्रदार्थ भैस से दस गुना अधिक होता है। भैस का दूध गर्म करने पर उसके पोषक ज्यादातर ख़त्म हो जाते है परन्तु गाय के दूध के पोषक तत्व गर्म करने पर भी सुरक्षित रहता है। गाय का गोमूत्र :- गाय के मूत्र में आयुर्वेद का खजाना है, इसके अन्दर ‘ कार्बोलिक एसिड ‘ होता है जो कीटाणु नासक है, गौ मूत्र चाहे जितने दिनों तक रखे ख़राब नहीं होता है इसमें कैसर को रोकने वाली ‘ करक्यूमिन ‘ पायी जाती है।
गौ मूत्र में नाइट्रोजन,फास्फे, यूरिक एसिड, पोटेशियम, सोडियम, लैक्टोज , सल्फर, अमोनिया, लवण रहित विटामिन ए वी सी डी ई, इन्जैम आदि तत्व पाए जाते है। देसी गाय के गोबर-मूत्र-मिश्रण से ‘ प्रोपिलीन ऑक्साइड ‘ उत्पन्न होती है जो बारिस लाने में सहायक होती है। इसी के मिश्रण से ‘ इथिलीन ऑक्साइड ‘ गैस निकलती है जो ऑपरेशन थियटर में काम आता है। गौ मूत्र में मुख्यतः 16 खनिज तत्व पाये जाते है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढाता है। गाय का शरीर :- गाय के शरीर से पवित्र गुग्गल जैसी सुगंध आती है जो वातावरण को शुद्ध और पवित्र करती है। जननी जानकार दूध पिलाती , केवल साल छमाही भर, गोमाता पय-सुधा पिलाती, रक्षा करती जीवन भर । मित्र Rajesh Maheshwari जी के द्वारा अच्छी दुनिया की तरफ आप सभी के साथ सांझा की गई जानकारी इसे जन-जन तक जरूर पहुचाए गौ माता की रक्षा का प्रण करे।