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- दूसरे बच्चो के लिए अपने बच्चे को बनाए आदर्श......
Posted by : achhiduniya
19 March 2017
माता पिता को चाहिए कि वह
बच्चों के प्रति अपने प्यार को जाहिर करें। आप उन्हें जितना प्यार और सहारा
देंगे वे जीवन में उतने ही मुखर और आत्मविश्वासी बनेंगे। माता-पिता अपने बच्चों
से जिम्मेदाराना उम्मीदें रखें, इसलिए बच्चे में अनुशासन का पालन करने की आदत डाले। माता-पिता
अपने बच्चों से जिम्मेदाराना उम्मीदें रखें, क्योंकि
जीवन में अनुशासन होना बहुत जरूरी है। बच्चों को अनुशासन का पालन करना सिखाएं।
अनुशासन का मतलब है नियम, सिद्धान्त और आदेशों का ठीक से
पालन करना है। अनुशासन का अर्थ है, खुद को वश में रखना।
अनुशासन सफलता की वजह भी बनता है,इसलिए अपने बच्चों को अनुशासित जरूर बनाएं। परिवार में कोई ऐसी समस्या है, जिसका संबंध बच्चे से है,तो कोई भी फैसला लेने से पहले बच्चे की सलाह जरूर लें या फिर उस फैसले में बच्चे को भी शामिल करें। बच्चों के सुझावों के लिए खुद को नकारात्मक करने की बजाए उनके सुझावों को गंभीरता से लें। जब भी बच्चा कुछ कहना या पूछना चाहें,तो उन्हें रोके या टोके नहीं। बच्चे को अपने मन की बात कहने दें और उसे प्रोत्साहित करें कि वह अपने मन की बात को बेझिझक होकर कह सके। इससे वह मुखर होगा और आगे अपने जीवन में खुल कर जी सकेगा। अपने बच्चों के सामने चिल्लाने या फिर बहस करने से बचें। अपने गुस्से पर नियंत्रण कर अपने बच्चे के आगे एक उदाहरण क्रिएट करें।
बच्चों की अत्यधिक मांगों को पूरा करने या फिर उनपर अधिक प्रतिबंध लगाने से बचें। इन सब के जरिए आप अपने बच्चे को गुस्सैल होने से आसानी से बचा सकते हैं। जब भी बच्चा कुछ कहना या पूछना चाहें, तो उन्हें रोकें या टोकें नहीं। बच्चे को अपने मन की बात कहने दें और उसे प्रोत्साहित करें कि वह अपने मन की बात को बेझिझक होकर कह सके। इससे वह मुखर होगा और आगे अपने जीवन में खुल कर जी सकेगा।
अनुशासन सफलता की वजह भी बनता है,इसलिए अपने बच्चों को अनुशासित जरूर बनाएं। परिवार में कोई ऐसी समस्या है, जिसका संबंध बच्चे से है,तो कोई भी फैसला लेने से पहले बच्चे की सलाह जरूर लें या फिर उस फैसले में बच्चे को भी शामिल करें। बच्चों के सुझावों के लिए खुद को नकारात्मक करने की बजाए उनके सुझावों को गंभीरता से लें। जब भी बच्चा कुछ कहना या पूछना चाहें,तो उन्हें रोके या टोके नहीं। बच्चे को अपने मन की बात कहने दें और उसे प्रोत्साहित करें कि वह अपने मन की बात को बेझिझक होकर कह सके। इससे वह मुखर होगा और आगे अपने जीवन में खुल कर जी सकेगा। अपने बच्चों के सामने चिल्लाने या फिर बहस करने से बचें। अपने गुस्से पर नियंत्रण कर अपने बच्चे के आगे एक उदाहरण क्रिएट करें।
बच्चों की अत्यधिक मांगों को पूरा करने या फिर उनपर अधिक प्रतिबंध लगाने से बचें। इन सब के जरिए आप अपने बच्चे को गुस्सैल होने से आसानी से बचा सकते हैं। जब भी बच्चा कुछ कहना या पूछना चाहें, तो उन्हें रोकें या टोकें नहीं। बच्चे को अपने मन की बात कहने दें और उसे प्रोत्साहित करें कि वह अपने मन की बात को बेझिझक होकर कह सके। इससे वह मुखर होगा और आगे अपने जीवन में खुल कर जी सकेगा।