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देश का दिल व स्वर्ण पदक जीतकर खेल के इतिहास मे स्वर्ण अक्षरो से अपना नाम दर्ज कराने वाली पहली भारतीय महिला बनी तेज धाविका हिमा दास......
Posted by : achhiduniya
14 July 2018
नौगांव जिले के कांदुलिमारी गांव के किसान परिवार में जन्मी 18 वर्षीय हिमा ने फिनलैंड में आईएएएफ विश्व अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मैडल जीतकर देशवासियों के लिए वह महिला और पुरूष दोनों वर्गों में ट्रैक स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय बन गई हैं। उनके पिता रंजीत दास के पास दो बीघा जमीन है। उनकी मां जुनाली हाउसवाइफ हैं। जमीन का यह छोटा सा टुकडा ही छह सदस्यों के परिवार की आजीविका का साधन है। हिमा चार भाई बहनों में सबसे बड़ी हैं। उसकी दो छोटी बहनें और एक भाई है। एक छोटी बहन दसवीं कक्षा में पढ़ती है जबकि जुड़वां भाई और बहन तीसरी कक्षा में हैं। हिमा खुद अपने गांव से एक किलोमीटर दूर स्थित ढींग के एक कॉलेज में बारहवीं की छात्रा हैं। हिमा के पिता रंजीत ने असम में अपने गांव से कहा, वह बहुत जिद्दी है अगर वह कुछ ठान लेती है तो फिर किसी की नहीं सुनती, लेकिन वह पूरे धैर्य के साथ यह काम करेगी।
वह दमदार लड़की है और इसलिए उसने कुछ खास हासिल किया है। मुझे उम्मीद थी कि वह देश के लिये कुछ विशेष करेगी। हिमा ने फिनलैंड से कहा, मैं अपने परिवार की स्थिति को जानती हूं और हम कैसे संघर्ष करते हैं,लेकिन ईश्वर के पास सभी के लिये कुछ होता है। मैं सकारात्मक सोच रखती हूं और मैं जिंदगी में आगे के बारे में सोचती हूं। मैं अपने माता-पिता और देश के लिये कुछ करना चाहती हूं,लेकिन अब तक यह सपने की तरह रहा है। मैं अब विश्व जूनियर चैंपियन हूं। हिमा ने अपने प्रदर्शन के बारे में कहा, मैं पदक के बारे में सोचकर ट्रैक पर नहीं उतरी थी। मैं केवल तेज दौड़ने के बारे में सोच रही थी और मुझे लगता है कि इसी वजह से मैं पदक जीतने में सफल रही। मैंने अभी कोई लक्ष्य तय नहीं किया है, जैसे कि एशियाई या ओलंपिक खेलों में पदक जीतना मैं अभी केवल इससे खुश हूं कि मैंने कुछ विशेष हासिल किया है और अपने देश का गौरव बढ़ाया है।