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आरबीआई की भूमिका राहुल द्रविड़ की तरह धीर-गंभीर फैसले लेने वाली होनी चाहिए न कि नवजोत सिंह सिद्धू की तरह बयानबाजी करने वाली....पूर्व गवर्नर रघुराम राजन
Posted by : achhiduniya
06 November 2018
इकनॉमिक टाइम्स को दिए साक्षात्कार में RBI पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि वर्तमान
परिस्थिति में केंद्रीय बैंक की भूमिका कार की सीट बेल्ट की तरह है, जो
दुर्घटना रोकने के लिए जरूरी होता है। भारतीय रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार के बीच
विभिन्न मुद्दों को लेकर जारी टकराव के बीच केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम
राजन ने महत्वपूर्ण सलाह दी है। उनका कहना है कि मौजूदा परिस्थिति में आरबीआई की
भूमिका राहुल द्रविड़ की तरह धीर-गंभीर फैसले लेने वाले की होनी चाहिए न कि नवजोत
सिंह सिद्धू की तरह बयानबाजी करने वाले की। राजन ने केंद्रीय बैंक तथा केंद्र
सरकार के बीच मतभेदों, सेक्शन
सात के इस्तेमाल, गैर
बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) संकट, प्रॉम्प्ट करेक्टिव ऐक्शन (पीसीए), केंद्रीय
सूचना आयोग (सीआईसी) का नोटिस तथा आरबीआई के बोर्ड सहित कई मुद्दों पर खुलकर अपने
विचार व्यक्त किए।
पूर्व गवर्नर ने कहा कि केंद्रीय बैंक ड्राइविंग सीट पर बैठी
केंद्र सरकार के सीट बेल्ट की तरह है। यह फैसला सरकार को करना है कि वह सीट बेल्ट
पहनना चाहती है या नहीं। सीट बेल्ट पहनने से दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से बचाव में
सहायता मिलती है। सरकार विकास को बढ़ावा देने के बारे में सोचती है, तो
आरबीआई वित्तीय स्थिरता पर फोकस करता है। आरबीआई के पास ना कहने का अधिकार है
क्योंकि वह स्थिरता बरकरार रखने के लिए जिम्मेदार है। यह राजनीतिक प्रदर्शन या
अपना हित साधने का साधन नहीं है। केंद्र और आरबीआई एक दूसरे के विचारों से असहमत
हो सकते हैं, लेकिन
फिर भी एक दूसरे के अधिकार क्षेत्र का सम्मान करना होगा। राजन ने कहा कि सेक्शन
सात का इस्तेमाल नहीं किया जाना अच्छी खबर है। अगर सेक्शन 7 का इस्तेमाल किया गया, तो
दोनों के बीच संबंध बदतर हो जाएंगे, जो चिंता की बात होगी। आरबीआई और केंद्र
सरकार के बीच बातचीत जारी है और दोनों एक दूसरे का सम्मान करते हुए काम करते हैं।
इस बात से सहमत हूं कि आरबीआई सरकार की एक एजेंसी है, लेकिन
इसे कुछ खास कर्तव्य सौंपा गया है। बातचीत सम्मान के आधार पर होनी चाहिए।
उन्हें
एक दूसरे के अधिकार क्षेत्र का ध्यान रखना पडे़गा और जब इसमें दखलअंदाजी होगी तो
समस्या होगी। उम्मीद है कि आरबीआई के अधिकार क्षेत्र का सम्मान होगा। राजन ने कहा
कि विलफुल डिफॉल्टर और फर्जीवाड़े का मुद्दा एक ही तरह का नहीं है। विलफुल
डिफॉल्टर अपने कर्ज का भुगतान नहीं करना चाहते हैं, लेकिन पैसे लेकर भाग
जाते हैं। फर्जीवाड़ा करने वालों को कानून के कठघरे में लाने के लिए शिद्दत से
कानून लागू करना चाहिए, यह
काम जारी है। मैं अच्छी तरह समझ नहीं पा रहा हूं कि नामों को क्यों सार्वजनिक नहीं
किया जा सकता। अगर फर्जीवाड़ा करने वालों को दंडित नहीं किया गया तो वे और
फर्जीवाड़ा करने को उत्साहित होंगे।