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- क्या एचआईवी [HIV] और एड्स [AIDS] दो अलग-अलग खतरनाक बीमारीयां है.....?
Posted by : achhiduniya
30 November 2018
WHO के साल 2017 के आंकड़े के अनुसार इस जानलेवा बीमारी से लगभग 3619 मिलियन लोग
पीड़ित हैं। असुरक्षित सेक्स के अलावा इस बीमारी के कई कारण हैं। एचआईवी संक्रमण की
चपेट में आने पर कई लोगों में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। कई दिन या हफ्तों के
बाद कुछ लोगों में फ्लू जैसा बीमारी के लक्षण दिखाई पड़ते हैं। आपने इस बीमारी के
बारे में बहुत पढ़ा और सुना होगा, बावजूद इसके
कई लोग इस बीमारी से जुड़े कुछ मिथकों पर आंख बंद करके विश्वास करते हैं। 1980 के
दशक में अमेरिका में अधिकतर गे लोग ही एचआईवी संक्रमण का शिकार हुए। क्योंकि इस
रोग का पहली बार समलैंगिक पुरुषों में ही पता चला था।
तीसरा चरण वो है जिसमें
कोई व्यक्ति एचआईवी की दवा नहीं ले रहा है यानी उसे एड्स का खतरा होता है। आधुनिक
चिकित्सा की वजह से एचआईवी से पीड़ित लोगों का नॉर्मल लाइफ जीना काफी हद तक संभव हो
गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार, यूरोप और
उत्तरी अमेरिकी में एचआईवी से पीड़ित पुरुष और महिलाएं का जीवन क्रमशः 73 और 76 है। अगर एचआईवी के साथ आपको टीबी, इन्फेक्शन और कैंसर जैसे रोग नहीं है, तो आप सामान्य उपचार के साथ बेहतर जीवन जी सकते
हैं। वैज्ञानिकों को एचआईवी के इलाज में बड़ी प्रगति हुई है,लेकिन प्रगति के बावजूद, अभी भी इसका कोई सम्पूर्ण इलाज नहीं है।
यूएएस हेल्थ एंड ह्यूमन
सर्विस डिपार्टमेंट (एचएचएस) के अनुसार, कोई भी
व्यक्ति एचआईवी की चपेट में आ सकता है, लेकिन कुछ
समूह, जैसे अफ्रीकी अमेरिकियों, लैटिनोस, और समलैंगिकों
को इसका अधिक खतरा होता है। वास्तव में एचआईवी के तीन चरण हैं और एचआईवी का इलाज
नहीं कराने पर कम से कम दस साल के अंदर व्यक्ति को एड्स हो सकता है। इसके पहले चरण
से पहले व्यक्ति को दो से चार हफ्तों में एचआईवी के लक्षण महसूस होने लगते हैं
जबकि पहले चरण में व्यक्ति को फ्लू, थकान, सर्दी और बुखार जैसे लक्षण महसूस होते हैं। दूसरे
चरण में एचआईवी का इलाज शामिल है जहां पीड़ित के लक्षणों को दवाओं के जरिए दबाने की
कोशिश की जाती है और एचआईवी की फैलने का कम खतरा होता है।
साल 2016 में, संयुक्त
राष्ट्र ने नए लक्ष्यों की घोषणा की जिसके तहत 2030 तक एचआईवी
महामारी को खत्म करने का लक्ष्य है। इन लक्ष्यों में उपचार के लिए ज्यादा लोगों को
शामिल करना, रोकथाम में तेजी लाना और बच्चों के बीच नए
एचआईवी संक्रमण को रोकना शामिल है। एचआईवी/एड्स
एक खतरनाक बीमारी है जिसका सिर्फ बचाव ही इलाज है।



