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- बाहरी प्रदूषण की तुलना मे घरों में प्रदूषण का स्तर 10 से 30 गुना अधिक होता है....
Posted by : achhiduniya
13 December 2018
घरों के अंदर वायु प्रदूषण के नतीजे स्वास्थ्य समस्याओं का कारण
बन सकते हैं,खासकर अस्थमा पीड़ित युवाओं और बुजुर्गों
के लिए। शोधकर्ताओं ने देखा कि प्रत्येक घर में वायु प्रदूषण की परिस्थितियां
अलग-अलग होती हैं। यह वैक्यूमिंग,खाना पकाने,धूल झाड़ने या कपड़ों का ड्रायर चलाने जैसे कामों
के कारण हो सकता है। एक अध्ययन के मुताबिक घरों में प्रदूषण का स्तर बाहरी प्रदूषण
की तुलना में 10 से 30 गुना अधिक हो सकता है। हेल्थ केयर एक्सपर्ट के मुताबिक,वायु प्रदूषण एक अदृश्य हत्यारा है।
रोजमर्रा के
उपभोक्ता उत्पादों और घरेलू चीजों जैसे पेंट,पालतू जानवरों
से एलर्जी और कुकिंग गैस आदि वायु प्रदूषण का अतिरिक्त स्रोत हो सकते हैं। यह मानव
शरीर के अधिकांश अंगों और प्रणालियों को प्रभावित कर सकते हैं,उन्होंने कहा कि पर्यावरण में मौजूद कणों का सीधा
वास्ता फेफड़ों से पड़ता है,जिसके कारण
सीओपीडी,अस्थमा और फेफड़ों के कैंसर जैसे कई श्वसन
रोग हो सकते हैं। धूल के कण जैसे प्रदूषक फेफड़ों की सूजन,ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और सेल साइकल डेथ को प्रभावित
कर सकते हैं।
प्रदूषण की वजह से अस्थमा और सीओपीडी वाले लोगों में परेशानी हो सकती
है। घर की हवा को कैसे बनाएं रखें शुद्ध:- घर व कार्यालय में नमी को नियंत्रित
करें। बाथरूम और रसोई में एगजॉस्ट फैन लगाएं। घरेलू उपकरणों को ठीक से साफ करें और
धूल से बचाकर रखें। कालीन को साफ और सूखा रखें। कंबल और बिस्तर को नियमित रूप से
60 डिग्री सेल्सियस तापमान पर धोएं। टेक्सटाइल कारपेटिंग की जगह लकड़ी,टाइल या लिनोलियम का फर्श लगाएं,वैक्यूम क्लीनिंग और गीले पोछे से सफाई करना
अच्छा तरीका है।


