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- कही गले की फास न बन जाए कांग्रेस के लिए 10 दिनो मे किसान कर्ज माफी का चुनावी वादा....
Posted by : achhiduniya
13 December 2018
धुंवाधार चुनावी प्रचार
के बीच राजनीतिक पार्टी एक दूसरे को नीचा दिखने के साथ ऐसे लोकलुभावने वादे करती है
जिसकी जमीनी हकीकत खुली आंखो
से मुंगेरी लाल के हसीन सपने जैसी लगती है। अगर एमपी के खजाने
की हालत देखने पर तो यही नज़र आता है कि बिना राज्य की आर्थिक स्थिति की जानकारी के
ऐसा लोकलु भावन वादा कर दिया गया है। ये वादा पूरा भी किया जा सकता है,लेकिन सिर्फ 10 दिनों में करना तो लगभग नामुमकिन
ही नज़र आता है। हालत ये है कि राज्य सरकार ने खजाने पर जारी अपना लोन चुकाने की
समय सीमा बदल रही है। सरकार के पिछले तीन महीने विधानसभा चुनावों में बीत गए।
ऐसे
में नई सरकार को अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर में लिए गए लोन की तीन
किस्तों को भी चुकाना होगा। वित्त विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, एमपी राज्य सरकार पर 1,60,871.9 करोड़ का कर्ज
है जो कि इन तीन महीनों की किस्ते मिलाकर 1,87,636.39 करोड़ रुपए हो गया है। जानकारों
के मुताबिक, चुनावों के मद्देनज़र शिवराज सरकार ने कई
लोक-लुभावन योजनाओं की शुरुआत की जिससे खजाने पर और भी दबाव बढ़ गया। शिवराज सरकार
की फ्लैगशिप योजनाओं में से एक संबल योजना के लिए ही करीब 10 हजार करोड़ रुपये
खर्च किए गए। दिसंबर के लोन के लिए शिवराज सरकार ने कहा था कि इसका इस्तेमाल पावर
डिस्कॉम को दुरुस्त करने में किया जाएगा। हालांकि विधानसभा में पूर्व वित्तमंत्री
जयंत मलैया ने खुद बताया कि संबल योजना के तहत जनता का 5146 करोड़ रुपये का बिजली
बिल माफ किया गया है।
जयंत खुद भी दमोह सीट से चुनाव हार गए हैं,लेकिन उनका कहना है कि कांग्रेस ने राज्य की
आर्थिक हालत को समझे बिना ही लंबे-लंबे चुनावी वादे किए हैं जो ज़मीन पर लागू होने
वाले नज़र नहीं आते। विधानसभा चुनावों के नतीजे के बाद 11 दिसंबर को प्रेस से बात
करते हुए राहुल ने कहा था कि कांग्रेस राज्य के किसानों की कर्जमाफी की घोषणा 10
दिन के अंदर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हालांकि एमपी के किसान लोन के आंकड़ों पर
नज़र डालें तो फिलहाल 41 लाख किसानों ने 56,377 करोड़ रुपये लोन लिया है जिसे एक
झटके में माफ़ करना नामुमकिन ही है। बता दें कि इनमें से 21 लाख ऐसे किसान हैं जिन्होंने
14,300 करोड़ रुपये का कर्ज लिया और उनकी अदा करने वाली तारीख भी निकल चुकी है।
वही छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की जीत के बाद राज्य शासन के
अधिकारियों ने किसानों की कर्ज माफी की तैयारियां शुरू कर दी हैं। राज्य शासन के
अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक सहकारिता विभाग के उप सचिव पीएस सर्पराज ने
संचालक संस्थागत वित्त संयोजक, राज्य स्तरीय
बैंकर्स कमेटी और प्रबंध संचालक छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक को पत्र लिखकर
किसानों की ऋण माफी योजना को लागू करने के लिए जानकारी मांगी है। पत्र में लिखा
गया है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा अपने जन घोषणा पत्र में सरकार बनने के
10 दिनों के भीतर किसानों का कर्ज माफ करने की घोषणा की गई है। इस घोषणा की पूर्ति
के लिए किसानों की ऋण माफी योजना तैयार किया जाना है।
अधिकारियों से कहा गया है कि उनके अधीन कार्यरत बैंकों द्वारा किसानों को वितरित कृषि ऋण अवशेष की जानकारी 30 नवंबर की स्थिति के अनुसार उपलब्ध कराएं। राज्य सरकारों को किसान कर्जमाफी के लिए आरबीआई से लोन लेना अब जद्दोजहद भरा है। बैंक के कड़े दिशा-निर्देशों की वजह से राज्य सरकार बहुत ज्यादा लोन नहीं ले पाएगी। नए नियमों के मुताबिक बैंक के कड़े दिशा-निर्देशों की वजह से अब राज्य सरकार एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का लोन नहीं ले पाएगी। एमपी सरकार ने 5 अक्टूबर, 12 अक्टूबर और 9 नवंबर को क्रमश: 500 करोड़, 600 करोड़ और 800 करोड़ रुपये का लोन पहले ही लिया हुआ है और 4 दिसंबर को भी लोन लिया गया था। सिर्फ जनवरी में इतनी बड़ी रकम का इंतज़ाम कहां से किया जाएगा ये अभी भी सवाल बना हुआ है।
अधिकारियों से कहा गया है कि उनके अधीन कार्यरत बैंकों द्वारा किसानों को वितरित कृषि ऋण अवशेष की जानकारी 30 नवंबर की स्थिति के अनुसार उपलब्ध कराएं। राज्य सरकारों को किसान कर्जमाफी के लिए आरबीआई से लोन लेना अब जद्दोजहद भरा है। बैंक के कड़े दिशा-निर्देशों की वजह से राज्य सरकार बहुत ज्यादा लोन नहीं ले पाएगी। नए नियमों के मुताबिक बैंक के कड़े दिशा-निर्देशों की वजह से अब राज्य सरकार एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का लोन नहीं ले पाएगी। एमपी सरकार ने 5 अक्टूबर, 12 अक्टूबर और 9 नवंबर को क्रमश: 500 करोड़, 600 करोड़ और 800 करोड़ रुपये का लोन पहले ही लिया हुआ है और 4 दिसंबर को भी लोन लिया गया था। सिर्फ जनवरी में इतनी बड़ी रकम का इंतज़ाम कहां से किया जाएगा ये अभी भी सवाल बना हुआ है।




