- Back to Home »
- Judiciaries »
- राफेल डील पर मोदी सरकार को दिया सुप्रीम कोर्ट ने अभयदान....नहीं हुई कोई गड़बड़ी, नहीं होगी SIT जांच....
राफेल डील पर मोदी सरकार को दिया सुप्रीम कोर्ट ने अभयदान....नहीं हुई कोई गड़बड़ी, नहीं होगी SIT जांच....
Posted by : achhiduniya
14 December 2018
CJI रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने राफेल डील मामले की सुनवाई करते हुए राफेल सौदे के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया। CJI ने सुनवाई के दौरान कहा है कि इस सौदे की प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट को कोई भी गड़बड़ी नहीं मिली है। इसलिए इसकी एसआईटी जांच नहीं होगी। CJI ने कहा कि राफेल विमान सौदे में कीमतों की जांच सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं है। हम कुछ लोगों की धारणा के आधार पर फैसला नहीं दे सकते हैं। राफेल सौदे में कोई धांधली या अनियमितता नहीं है। राफेल विमान की गुणवत्ता पर कोई शक नहीं है। देश को अच्छे विमानों की जरूरत है तो राफेल डील पर सवाल क्यों? एनडीए सरकार पर राफेल सौदे को लेकर विपक्षियों ने आरोप लगाया है कि हर विमान को करीब 1,670 करोड़ रुपये में खरीद रही है, जबकि यूपीए सरकार जब 126 राफेल विमानों की खरीद के लिए बातचीत कर रही थी।
तो उसने इसे 526 करोड़ रुपये
में अंतिम रूप दिया था। सुप्रीम कोर्ट में दो वकीलों एमएल शर्मा और विनीत ढांडा के
अलावा एक गैर सरकारी संस्था ने जनहित याचिकाएं दाखिल कर सौदे पर सवाल उठाए। इन
आरोपों के बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुए राफेल
लड़ाकू विमान खरीदने की कीमत का ब्योरा सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपा
था। सरकार ने 14 पन्नों के हलफनामे में कहा था कि राफेल विमान
खरीद में रक्षा खरीद प्रक्रिया-2013 के तहत
निर्धारित प्रक्रिया का पूरी तरह पालन किया गया। इस हलफनामे का शीर्षक 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का आदेश देने के लिए
निर्णय लेने की प्रक्रिया में उठाए गए कदमों का विवरण है। इससे पहले सुनवाई के दौरान सीजेआई द्वारा तलब
करने पर वायुसेना के अधिकारी भी कोर्ट पहुंचे थे।
एयर वाइस मार्शल चलपति कोर्ट
नंबर एक में मौजूद थे और सीजेआई रंजन गोगोई के सवालों का जवाब देते हुए बताया था
कि आखिर राफेल की जरूरत क्यों है? केंद्र ने
सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि फ्रांस की सरकार ने 36 विमानों की कोई गारंटी नहीं दी
है,लेकिन प्रधानमंत्री ने लेटर ऑफ कम्फर्ट
जरूर दिया है। सरकार ने सौदे की निर्णय प्रक्रिया का जो ब्योरा पक्षकारों को दिया
है उसमें कहा गया था कि राफेल में रक्षा खरीद सौदे की तय प्रक्रिया का पालन किया
गया है। 36 राफेल विमानों को खरीदने का सौदा करने से
पहले डिफेंस एक्यूजिशन काउंसिल (डीएसी) की मंजूरी ली गई थी। इतना ही नहीं करार से
पहले फ्रांस के साथ सौदेबाजी के लिए इंडियन नेगोसिएशन टीम (आइएनटी) गठित की गई थी, जिसने करीब एक साल तक सौदे की बातचीत की और खरीद
सौदे पर हस्ताक्षर से पहले कैबिनेट कमेटी आन सिक्योरिटी (सीसीए) व काम्पीटेंट
फाइनेंशियल अथॉरिटी (सीएफए) की मंजूरी ली गई थी।


