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- ग्लूकोमा पर जनजागरण रैली क्या है काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा).....?
Posted by : achhiduniya
06 March 2019
भारत देश [1.6 करोड़] और पूरी दुनिया में [6 करोड़] अंधापन एक बड़ी समस्या है और इसके प्रमुख कारणों में से एक है काला
मोतिया अर्थात ग्लूकोमा इसलिए समय रहते ग्लूकोमा का इलाज करा लेना जरूरी होता है, ताकि अंधेपन से बचा जा सके। ग्लूकोमा का उपचार
पूरी तरह से उसकी स्थिति और प्रकार पर निर्भर करता है। आमतौर पर इसके उपचार में
लगातार दवाइयां लेनी पड़ती हैं। ज्यादातर मरीजों का ग्लूकोमा दवाइयों से नियंत्रण
में आ जाता है।
लेकिन एक स्थित ऐसी भी आती है, जब दवाएं
बेअसर होने लगती हैं और फिर ऐसे में लेजर सर्जरी करनी पड़ती है। हालांकि इसमें मरीज
को अस्पताल में भर्ती कर चीर-फाड़ नहीं करनी पड़ती। इसकी सर्जरी के दौरान आंखों को
थोड़ी देर के लिए सुन्न किया जाता है और फिर लेजर से इलाज किया जाता है। काला
मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) और मोतियाबिंद (कैटरेक्ट) में बहुत अंतर होता है। जहां
मोतियाबिंद को ऑपरेशन से ठीक किया जा सकता है, वही काला
मोतियाबिंद आंखों की रोशनी को छीन लेता है।
काला मोतियाबिंद के शिकार ज्यादातर
मरीज दृष्टिहीनता के शिकार हो जाते है। कभी कभी इसके कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते
और अचनाक ही पता चलता है कि एक आंख से कम दिखाई देने लगा। काले मोतियाबिंद के साथ
सबसे खतरनाक बात यह है कि इस रोग से प्रभावित व्यक्ति की देखने की क्षमता जितनी
खराब हो चुकी होती है, उसको किसी भी प्रकार के इलाज द्वारा ठीक
नहीं किया जा सकता।
इसके उल्टे कैटरेक्ट या मोतियाबिंद इतना खतरनाक नहीं होता है।
इसमें ऑपरेशन के बाद आंखों की रोशनी को वापस लाया जा सकता है।
ग्लूकोमा पर जनजागरण
रैली 10 मार्च को सम्पूर्ण महाराष्ट्र राज्य मे सुबह 9 बजे एक साथ निकली जाएगी। पत्र-परिषद
के माध्यम यह सारी जानकारी
महाराष्ट्र ओर्थोमोलाजिकल सोसाईटी के अध्यक्ष डॉ गोपाल अरोरा [MOS],सचिव डॉ आनंद पांगरकर [MOS],अध्यक्ष डॉ वर्षा रहाटेकर [OSN],सचिव डॉ ऋषिकेश मायी [OSN] ने दी।