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- आखिर क्या और क्यू है विवादित Article [अनुच्छेद] 370....?
Posted by : achhiduniya
05 August 2019
भारत 15 अगस्त, 1947 को
अंग्रेजों से आजाद तो हो गया, लेकिन इसका
बंटवारा भी हो गया। भारत से निकलकर पाकिस्तान एक अलग देश बना। तब रियासतों को भारत
या पाकिस्तान में विलय करने या फिर स्वतंत्र रहने का अधिकार प्राप्त था। कुछ
रियासतों को छोड़कर बाकी सभी ने खुशी-खुशी भारत में विलय के प्रस्ताव पर दस्तखत कर
दिए। जम्मू-कश्मीर के शासक महाराजा हरि सिंह ने स्वतंत्र रहने का निर्णय किया, लेकिन 20 अक्टूबर, 1947 को
पाकिस्तानी सेना के समर्थन से कबायलियों की आजाद कश्मीर सेना ने कश्मीर पर हमला कर दिया। महाराजा ने हालात
बिगड़ते देख भारत से मदद मांगी।
तब तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने
हरि सिंह के सामने अपने राज्य को भारत में मिलाने की शर्त रखी। भारत की मदद पाने
के लिए हरि सिंह ने 26 अक्टूबर, 1947 को इंस्ट्रूमेंट्स
ऑफ ऐक्सेशन ऑफ जम्मू ऐंड कश्मीर टु इंडिया पर दस्तखत कर
दिया। गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन ने अगले दिन 26 अक्टूबर, 1947 को इसे स्वीकार कर लिया। इसके साथ ही, जम्मू-कश्मीर का भारत में विधिवत विलय हो गया। इंस्ट्रूमेंट्स
ऑफ ऐक्सेशन ऑफ जम्मू ऐंड कश्मीर टु इंडिया की शर्तों में
यह शामिल था कि सिर्फ रक्षा, विदेश और
संचार मामलों पर बने भारतीय कानून ही जम्मू-कश्मीर में लागू होंगे।
आखिर धारा 370 है क्या और इसके हटाने के क्या मायने है? धारा 370 के
प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का
अधिकार है,लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित कानून
को लागू करवाने के लिए केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिए। इसे आप इस तरह
समझ सकते हैं:- इसी विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर
राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती। इस कारण राष्ट्रपति के
पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है। जम्मू-कश्मीर के
नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता (भारत और कश्मीर) होती है। भारत की संसद
जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में अत्यन्त सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है। जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग है।
वहां के
नागरिकों द्वारा भारत के राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना अनिवार्य नहीं है। इसके
तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी
भूमि खरीदने का अधिकार है यानी भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में
जमीन नहीं खरीद सकते। भारतीय संविधान की धारा 360 जिसके
अन्तर्गत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती। जम्मू-कश्मीर
की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है जबकि भारत के अन्य
राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता
है। भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश
जम्मू-कश्मीर के अन्दर मान्य नहीं होते हैं। जम्मू-कश्मीर की कोई महिला अगर भारत
के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो
जाएगी। इसके विपरीत अगर वह पकिस्तान के
किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उसे भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाएगी। धारा 370 की वजह से कश्मीर में आरटीआई और सीएजी (CAG) जैसे कानून लागू नहीं होते हैं। कश्मीर में
महिलाओं पर शरियत कानून लागू है। कश्मीर में
पंचायत को अधिकार प्राप्त नहीं है। धारा 370 की वजह से ही
कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती है।