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कृषि क्षेत्र में काम आने वाली चीन की पावर टिलर मशीन पर क्यो लगाई सरकार ने रोक...क्या है सरकार की नई पॉलिसी...?
Posted by : achhiduniya
16 July 2020
पावर टिलर एक कृषि मशीन है, जिसका इस्तेमाल खेती के लिए जमीन तैयार करने के लिए किया जाता है। यह खेतीबाड़ी की एक ऐसी मशीन है, जो खेत की जुताई से लेकर फसल की कटाई तक बहुत काम आती है। इस मशीन द्वारा फसल की निराई, सिंचाई, मड़ाई और ढुलाई करना बहुत आसान हो जाता है। जिस प्रकार देसी हल में एक सीध पर बुवाई की जाती है, वैसे ही इस मशीन से बुवाई की जाती है। खास बात है कि पावर टिलर में अन्य कृषि यंत्र को जोड़कर कई कामों में मदद ली जा सकती है। पावर टिलर ट्रैक्टर की तुलना में बहुत हल्का और चेन रहित होता है। इस मशीन को चलाना भी बहुत सरल है, जिसको कई कंपनियां बनाकर
तैयार करती हैं। इस मशीन को पेट्रोल और डीज़ल, दोनों से चला सकते हैं। कई काम करता है आसान करना है पावर टिलर- यह मशीन
खेती की जुताई से लेकर फसल बुवाई तक में मददगार है। पावर टिलर में में पानी का पंप
जोड़कर किसान तालाब, पोख़र, नदी आदि से
पानी निकाल सकता है। इसमें थ्रेसर,रीपर,कल्टीवेटर,बीज ड्रिल मशीन आदि भी जोड़ी जा सकती हैं। पावर
टिलर काफी हल्की मशीन होती है,जिसको आसानी से कहीं भी ले जा
सकते हैं। केंद्र सरकार ने पावर टिलर और उसके कलपुर्जों के आयात को रिस्ट्रिक्टेड
कैटेगिरी में डाल दिया है। इसका मतलब साफ है कि अब सरकार की इजाजत के बिना इसका
इंपोर्ट चीन से नहीं किया जा सकता है। पावर टिलर के कलपुर्जों में इंजन,ट्रांसमिशन, चेसिस और रोटावेटर शामिल
हैं। अभी तक
पावर टिलर को कितना भी इंपोर्ट किया जा सकता था। विदेश व्यापार महानिदेशालय
(डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा है, पावर
टिलर और उसके
कलपुर्जों की आयात नीति को बदलाव कर मुक्त से प्रतिबंधित कर दिया गया
है। किसी उत्पाद को प्रतिबंधित श्रेणी
में रखने का अर्थ है कि आयातक को उनका आयात करने के लिए डीजीएफटी से लाइसेंस लेना
होगा। किसी उत्पाद को प्रतिबंधित श्रेणी
में रखने का अर्थ है कि इंपोर्ट करने के लिए डीजीएफटी से लाइसेंस लेना होगा। इसी
तरह पावर टिलर के कलपुर्जों के लिए भी 10 फीसदी
की सीमा तय की गई है। अधिसूचना में कहा गया है कि आवेदक को कम से कम तीन साल से इस
कारोबार में होना चाहिए और उसने पिछले तीन वर्षों में कम से कम 100 पावर ट्रिलर बेचे हों।