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राज्य में तीन दलों की सरकार तीनों की विचारधारा अलग-अलग,भूमिपूजन कार्यक्रम के लिए अयोध्या जाएंगे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे....संजय राऊत
Posted by : achhiduniya
21 July 2020
शिवसेना सांसद राऊत ने यह बताने से इंकार कर दिया कि मुख्यमंत्री को भूमिपूजन कार्यक्रम का निमंत्रण मिला है, या नहीं। उन्होंने कहा कि आपको आगे पता चलेगा। राऊत ने कहा कि उद्धव प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं और शिवसेना के पक्ष प्रमुख हैं। वे राम मंदिर आंदोलन की नींव रखने और प्रेरणा देने वाले शिवसेना प्रमुख दिवंगत बालासाहब ठाकरे के बेटे हैं। राऊत ने कहा कि उद्धव महाविकास आघाड़ी सरकार का नेतृत्व करने से पहले अयोध्या गए थे और महाविकास आघाड़ी सरकार के सौ दिन पूरे होने पर भी अयोध्या गए थे।राऊत ने दावा किया है कि उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के भूमिपूजन कार्यक्रम को लेकर प्रदेश की
महाविकास आघाड़ी सरकार के
घटक दलों में कोई असमंजस नहीं है। मंगलवार को राऊत ने स्पष्ट कर दिया कि शिवसेना
पक्ष प्रमुख और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे 5 अगस्त को भूमिपूजन कार्यक्रम के लिए अयोध्या
जाएंगे। राऊत ने कहा कि महाविकास आघाड़ी में कोई मतभेद नहीं है। अयोध्या में जाने
या नहीं जाने का मुद्दा राज्य की सरकार को चलाने के एजेंडे में नहीं है। राऊत ने
कहा कि राज्य में तीन दलों की सरकार है। तीनों दलों की विचारधारा अलग-अलग है।
राज्य में सरकार चलाने का आधार महाविकास आघाड़ी का न्यूनतम साझा कार्यक्रम है।
न्यूनतम साझा कार्यक्रम लागू करने पर तीनों दल एकमत हैं। राऊत ने कहा कि राम मंदिर
भूमिपूजन कार्यक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को सम्मान से बुलाया
जाएगा और दूसरी ओर बाबरी विवाद में आडवाणी की ऑनलाइन पेशी है। यह विसंगति है।
आडवाणी पर चलाया जा रहा बाबरी विवाद का मुकदमा पूरी तरह से गैर कानूनी
है। राऊत ने
कहा कि बाबरी मस्जिद को गिराना कोई गुनाह नहीं है। इस पर कोई केस नहीं बनता। राऊत
ने कहा कि राम मंदिर निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का कांग्रेस की
अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष
राहुल गांधी,
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और राकांपा
अध्यक्ष पवार ने स्वागत किया था। राकांपा के पूर्व सांसद माजिद मेमन के
धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र के प्रमुख को एक विशेष धार्मिक गतिविधियों को बढ़ावा नहीं
देने के बयान पर राऊत ने कहा कि राम मंदिर का मुद्दा राजनीतिक और धार्मिक नहीं
बल्कि राष्ट्रीय अस्मिता का विषय है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राम मंदिर का
निर्माण हो रहा है।