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- सेना की बख्तरबंद गाड़ियां दुश्मनों की आंखो में घुल झोकती पहुँचेंगी अपने मिशन पर....
सरकारी सूत्रों ने अनुसार मनाली से लेह तक निमू-पदम-दरचा के जरिए वैकल्पिक रास्ते से जोड़ने के लिए एजेंसियां काम कर रही है। इससे श्रीनगर से ज़ोजिला पास से गुजरने वाले मौजूदा मार्गों और मनाली से लेह तक सरचू के माध्यम से अन्य मार्गों की तुलना में बहुत समय बचाने में मदद करेगा। दुश्मन देश चीन और पाकिस्तान की नजरों से बचाकर लद्दाख तक सेना और टैंक को सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचाने की कोशिश के तहत भारत नई सड़क बना रहा है। मनाली से लेह तक बनाई जा रही यह नई सड़क ऊंचाई वाले
केन्द्र शासित प्रदेश को देश के बाकी हिस्से से जोड़ने के लिए तीसरी कड़ी के रूप में काम करेगी। उन्होंने बताया कि इस मार्ग से मनाली से लेह की यात्रा में तीन से चार घंटे की बचत होगी। इसके साथ ही, लद्दाख और अन्य ठिकानों पर सेना और बख्तरबंद गाड़ियों जैसे टैंक को ले जाते वक्त पाकिस्तानी या किस अन्य विरोधियों की तरफ से उन पर निगरानी नहीं की जा सकेगी। मुख्य रूप से सामानों और लोगों के परिवहन के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला मार्ग ज़ोजिला है, जो द्रास-कारगिल से लेह तक जाता है।
1999 में कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानियों द्वारा उसी मार्ग को भारी निशाना बनाया गया था और सड़क के किनारे ऊंचाई वाले पहाड़ों में उनके सैनिकों द्वारा लगातार बमबारी और गोलाबारी की गई थी। सूत्रों ने कहा कि इस परियोजना पर काम शुरू हो चुका है और नई सड़क मनाली को नीम के पास लेह से जोड़ेगी जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में चीन के साथ चल रहे संघर्ष के दौरान दौरा किया था।


