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राज्यो की उदासिनता के चलते सरकारी गोदामों में सड़ गया 32 हज़ार टन प्याज़...आम जनता को भुगतना पड़ रहा खामियाजा...
Posted by : achhiduniya
25 October 2020
बीते वर्ष प्याज के दाम बड़ने के चलते केन्द्र सरकार ने
प्याज़ की कीमतों को काबू करने के लिए प्याज़ का आयात किया था। विदेशों से प्याज़
की आवक शुरू होते ही इसकी कीमतें गिर गईं थी। जिसका नतीजा यह हुआ कि गोदामों में 32 हज़ार टन सरकारी प्याज़
सड़ गये। प्याज़ इस हाल में भी नहीं बचा कि उसे बेचा जाए। जनवरी 2020 में खुद दिवंगत
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य व सार्वजनिक
वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने इसकी जानकारी दी थी। इस दौरान उन्होंने प्याज़ सड़ने के एक बड़ी वजह का भी खुलासा किया। भूतपूर्व केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने इतनी बड़ी मात्रा में प्याज़ खराब होने के बारे में बताया था कि 2019 में प्याज़ की कीमतें आसमान छूने के बाद एक सरकारी संस्था को 41,950 मीट्रिक टन प्याज़ आयात करने के निर्देश दिए गए थे। वहीं, जनवरी खत्म होने से पहले-पहले 36,124 मीट्रिक टन प्याज़ देश में आ चुकी थी। लोकसभा
में दी गई एक जानकारी के अनुसार 30 जनवरी तक 13 राज्यों को 2,608 टन प्याज़ बेच दिया गया था,लेकिन दूसरे राज्यों ने प्याज़ लेने से इनकार कर दिया। उनका तर्क था कि विदेशी प्याज़ में वो स्वाद नहीं है जो भारतीय प्याज़ में है। नतीजा यह हुआ कि प्याज़ गोदामों में रखा रह गया। एक सवाल के जवाब में लोकसभा में दी गई जानकारी के अनुसार 30 जनवरी तक विदेशों से आई प्याज़ सिर्फ 13 राज्यों ने खरीदी थी। इस प्याज़ की मात्रा कुल 2,608 टन थी। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, इन
राज्यों में आंध्र प्रदेश, केरल, तेलंगाना, यूपी, उत्तराखण्ड, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, असम, गोवा, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, मेघालय और ओडिशा। इन राज्यों में सबसे ज़्यादा प्याज़ 893 टन आंध्र प्रदेश ने खरीदी थी। फिर मेघालय 282 और तीसरे नंबर पर उत्तराखण्ड 262 टन प्याज़ खरीदी थी।