- Back to Home »
- Agriculture / Nature »
- पराली जलने से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए सीएम केजरीवाल ने बताया पराली गलाने का तरीका...
Posted by : achhiduniya
06 October 2020
दिल्ली मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि हम पड़ोसी राज्यों के सामने एक मॉडल खड़ा करना चाहते हैं,जिससे वो ऐसा प्रयोग करके भविष्य में पराली का निपटारा कर सकें। फ्री छिड़काव में दिल्ली सरकार का 20 लाख रुपए खर्च आएगा। पराली गलाने के लिए ये घोल कैसे तैयार किया जाता है इसकी विधि भी सीएम केजरीवाल ने बताई है। सबसे पहले एक भगोने में 25 लीटर पानी लेकर उसमें 750
ग्राम गुड़ डालना है। जब पानी में गुड़ पूरा घुल जाए और उबाल आने लगे. उसके बाद उसके बाद चूल्हे से उतारकर ठंडा करना है। जब इसका तापमान सामान्य हो जाये तो उसमें 250 ग्राम बेसन और पूसा द्वारा बनाये गए पूसा डिकम्पोज़र के 20 कैप्सूल मिलाने है। फिर 3 दिन तक इसे एक कपड़े से ढक कर रखना है। चौथे दिन इसमें फंगस आ जायेगा। जिसके बाद 25 लीटर पानी मे 750 ग्राम गुड़ का घोल बनाकर इसके मिलाया जाएगा और इस तरह इस घोल की मात्रा 50 लीटर तक बढ़ जाएगी। जिसे 5 एकड़ तक खेती की ज़मीन पर इसका छिड़काव किया जा सकता है। जिसके बाद पराली डिकम्पोज़ हो जाएगी।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि दिल्ली में पराली का धुआं दिल्ली का कम और पड़ोसी राज्य हरियाणा और पंजाब का ज़्यादा है। पराली खेत में ही बायो डिकम्पोज़ करके हम पड़ोसी राज्यों के सामने एक मॉडल खड़ा करना चाहते हैं। ये पड़ोसी राज्यो की इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है कि वो इसका इस्तेमाल करेंगे या नहीं। इस पराली गलाने हेतु डिकम्पोज़र घोल निर्माण केंद्र' में अभी तक 1200 एकड़ ज़मीन के किसानों ने अपना रजिस्ट्रेशन करवा लिया है। 2 हज़ार एकड़ खेत में 11 अक्टूबर से
इसका छिड़काव शुरू हो जाएगा। हर साल सर्दी के मौसम में हरियाणा और पंजाब में पराली जलाई जाती है। जिसका धुंआ से दिल्ली एनसीआर के लोगों के लिए मुसीबत बनकर आता है। हर साल सरकारें एक दूसरे राज्य पर इसका ठीकरा फोड़ती आई है। हाल ही में पूसा एग्रीकल्चर इंस्टिट्यूट ने 'पूसा डिकॉम्पोज़' कैप्सूल तैयार किया है जिसे पराली जलाने के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। कैप्सूल से तैयार घोल के छिड़काव की मदद से पराली जलाने के बजाए खेत में नष्ट की जा सकती है।