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- 'मेरी व्यथा, मेरी शर्मिंदगी'…. महात्मा गांधी बापू उर्फ मोहनदास करमचंद गांधी जयंती विशेष....
Posted by : achhiduniya
02 October 2020
दुनिया भर में महात्मा गांधी की जयंती मनाई जा
रही है। एक साप्ताहिक समाचारपत्र नवजीवन में 1929 में उनका लिखा एक आलेख सामने आया
है। इस लेख से पता चलता है कि वो सत्य और नैतिकता से कोई भी समझौता नहीं करने के
पक्ष में थे। नवजीवन एक साप्ताहिक अखबार था,जिसका
प्रकाशन गांधीजी करते थे।“मेरी व्यथा,मेरी शर्मिंदगी” शीर्षक
से प्रकाशित लेख में गांधी जी ने गुजरात में अहमदाबाद के अपने आश्रम में अपनी
पत्नी कस्तूरबा समेत कुछ अन्य आश्रमवासियों की कमियों की आलोचना की है। उन्होंने
ये सफाई भी दी है कि उन्होंने इस लेख को लिखने का फैसला क्यों किया। गांधीजी ने
रेखांकित किया, आखिरकार मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि अगर मैं
ऐसा नहीं करता तो ये कर्तव्य का उल्लंघन होता है। राष्ट्रपिता ने कहा कि उन्हें
अपनी आत्मकथा में कस्तूरबा के कई गुणों का वर्णन करने में कोई हिचकिचाहट नहीं हुई,लेकिन उनकी कुछ कमज़ोरियां भी हैं जो इन सदगुणों पर आघात करती
हैं। गांधीजी ने लिखा है कि एक पत्नी का कर्तव्य मानते हुए उन्होंने अपना सारा धन
दे दिया,लेकिन