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- RSS प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी के अवसर पर CAA,राम मंदिर,चीन और रोजगार पर कही यह बातें....
Posted by : achhiduniya
25 October 2020
नागपुर मुख्यालय के महर्षि व्यास ऑडिटोरियम में
स्थापना दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने सेना के पराक्रम पर बोलते हुए कहा कि
हमारी सेना की अटूट देशभक्ति और अदम्य वीरता, हमारे शासनकर्ताओं
का स्वाभिमानी रवैया तथा हम सब भारत के लोगों के दुर्दम्य नीति-धैर्य का परिचय चीन
को पहली बार मिला है। इस बार भारत ने उसको जो प्रतिक्रिया दी, उसके कारण वह सहम गया। उसको धक्का मिला क्योंकि भारत तन कर खड़ा
हो गया। लेकिन ऐसा नहीं है कि इसके बाद हम लापरवाह हो जाएं। ऐसे खतरों पर नजर बनाए
रखनी होगी। RSS
प्रमुख भागवत ने कहा- पड़ोसी देश श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश ये हमारे पड़ोसी ही
नहीं, हजारों सालों से हमसे संबंधित हमारे स्वभाव वाले देश हैं। इनके
साथ हमें संबंध प्रगाढ़ करने होंगे। मनमुटाव दूर करने का प्रयास और तेजी से करना
होगा। मतभेद तो होते रहते हैं। आरएसएस प्रमुख ने रोजगार के मामले पर कहा- महामारी
के कारण रोजगार के नए कौशल और रोजगार के अवसर पैदा करना एक चुनौती है। राम मंदिर
फैसले पर बोलते हुए मोहन भागवत ने कहा, 9 नवंबर
को रामजन्मभूमि के मामले में अपना निर्णय देकर सर्वोच्च न्यायालय ने इतिहास बनाया।
भारतीय जनता ने इस निर्णय को संयम और समझदारी का परिचय देते हुए स्वीकार किया। CAA पर
बोलते हुए मोहन भागवत ने कहा,कुछ पड़ोसी देशों से
सांप्रादायिक कारणों से प्रताड़ित होकर विस्थापित किए जाने वाले बंधु, जो भारत में आएंगे उनको मानवता के हित में शीघ्र नागरिकता
प्रदान करने का प्रावधान था। उन देशों में सांप्रदायिक प्रताड़ना का इतिहास है।
भारत के इस नागरिकता संशोधन अधिनियम कानून में किसी संप्रदाय विशेष का विरोध नहीं
है।
भागवत ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को आधार बनाकर समाज में विद्वेष और हिंसा फैलाने का षडयंत्र चल
रहा है। इस कानून को संसद से पूरी प्रक्रिया से पास किया गया। इस षडयंत्र में
शामिल लोग मुसलमान भाइयों के मन में यह बैठाने का प्रयास कर रहे हैं कि वे अब भारत
में नहीं रहेंगे। आपकी संख्या न बढ़े इसके लिए कानून बनाई गई, यह बात फैलाया गया। हमारा कृषि का अनुभव गहरा व्यापक और सबसे
लंबा है। इसलिये उसमें से कालसुसंगत, अनुभवसिद्ध, परंपरागत ज्ञान तथा आधुनिक कृषि विज्ञान से देश के लिए उपयुक्त
और सुपरीक्षित अंश, हमारे किसान को अवगत कराने वाली नीति हो। कृषि
नीति का हम निर्धारण करते हैं, तो उस नीति से हमारा किसान