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- कोरोना महामारी से भी तेज देश में बेरोजगारी की रफ्तार....CMIE रिपोर्ट
Posted by : achhiduniya
30 March 2021
कोरोना वायरस महामारी पर काबू पाने के लिए 25 मार्च 2020 को लागू किए गए लॉकडाउन के चलते पैदा हुआ आजीविका का संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। एक साल बाद भी भारत बेरोजगारी की समस्या से अभी उबर भी नहीं पाया था कि इस बीच कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दे दी है, जो प्राइवेट सेक्टर में काम करने वालों के लिये खतरे का संकेत है। जाहिर है कि सरकार ने महामारी
के घातक प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया था, लेकिन इससे आर्थिक और वाणिज्यिक गतिविधियां थम गईं और बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा। प्रवासी मजदूरों के पलायन ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। लॉकडाउन के दौरान जिन लोगों की नौकरियां चली गईं, उन्हें सालभर बाद भी कहीं और काम करने का मौका नहीं मिल पाया है। सरकारी क्षेत्र में तो खैर नई नौकरियों के हाल ऊंट के मुंह में जीरे के समान है,लेकिन निजी क्षेत्र का हाल और भी बुरा है। कोरोना काल में जिन कंपनियों ने खर्च कटौती के नाम पर अपने कर्मचारियों को हटा दिया था, वे अब उन्हें दोबारा काम पर रखना नहीं चाहतीं क्योंकि कम स्टाफ से ही उनका काम मजे से चल रहा है। CMIE {सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी} के आंकड़ों के अनुसार फरवरी 2021 में बेरोजगारी की दर 6.9 प्रतिशत रही, जो पिछले साल इसी महीने में 7.8 प्रतिशत और मार्च 2020 में 8.8 प्रतिशत थी। आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल में बेरोजगारी दर