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- किसानों की जीत सरकार के अहंकार की हार केंद्र की मोदी सरकार पर सोनिया गांधी ने किया वार
Posted by : achhiduniya
19 November 2021
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर
निशाना साधते हुए कहा,आज सत्ता में बैठे लोगों
द्वारा बुना किसान-मजदूर विरोधी षड्यंत्र भी हारा और तानाशाह शासकों का अहंकार भी।
आज रोजी-रोटी और किसानी पर हमला करने की साजिश भी हारी। आज खेती-विरोधी तीनों काले
कानून हारे और अन्नदाता की जीत हुई। कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया,भाजपा सरकार ने लगातार खेती पर अलग-अलग तरीके से हमला बोला है।
चाहे भाजपा सरकार बनते ही किसान को दिए जाने वाले बोनस को बंद करने की बात हो, या
फिर किसान की जमीन के उचित मुआवज़े पर कानून को अध्यादेश
लाकर समाप्त करने का षड्यंत्र हो। चाहे किसान को लागत के अतिरिक्त 50 प्रतिशत
मुनाफा देने से इनकार कर देना हो, या फिर डीज़ल व कृषि उत्पाद की
लागतों में भारी भरकम वृद्धि हो, या फिर तीन खेती विरोधी काले
कानूनों का हमला हो। उन्होंने कहा,आज जब
किसान की औसत आय 27 रुपये प्रतिदिन रह गई हो और देश के किसान पर औसत कर्ज 74,000 रुपये हो, तो सरकार व हर व्यक्ति को
दोबारा सोचने की जरूरत है कि खेती किस प्रकार से सही मायनों में मुनाफे का सौदा
बने। किसान को
उसकी फसल की सही कीमत यानी एसएमपी कैसे मिले। सोनिया गांधी के
मुताबिक,किसान व खेत मजदूर को यातना नहीं, याचना
भी नहीं, न्याय और अधिकार चाहिये। यह हम सबका कर्तव्य भी है और संवैधानिक
जिम्मेदारी भी। प्रजातंत्र में कोई भी निर्णय सबसे चर्चा कर, सभी प्रभावित लोगों की सहमति और विपक्ष के साथ राय मशविरे के
बाद ही लिया जाना चाहिए। उम्मीद है कि मोदी सरकार ने कम से कम भविष्य के लिए कुछ
सीख ली होगी। सोनिया गांधी ने तीन कृषि कानूनों के निरस्त होने
पर कहा
कि आज सत्य, न्याय और अहिंसा की जीत हुई है।
सोनिया गांधी ने ट्वीट किया, आज 700 से अधिक किसान परिवारों,
जिनके सदस्यों ने न्याय के लिए इस संघर्ष में अपने प्राणों की आहुति
दी थी, उनका बलिदान रंग लाया है। आज सत्य, न्याय और अहिंसा की जीत हुई है। सोनिया गांधी ने यह भी कहा कि
प्रधानमंत्री को किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सुनिश्चित करना
चाहिए और भविष्य में कृषि कानूनों जैसा कोई बड़ा कदम उठाने से पहले राज्य सरकारों,
विपक्षी दलों और दूसरे संबंधित पक्षों से बातचीत करनी चाहिए।