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- क्या है आचार संहिता कब लगाई जाती है,क्या है नियम तोड़ने की सजा...?
Posted by : achhiduniya
14 January 2022
आगामी दिनो में उत्तर प्रदेश में जहां 07 चरणों में मतदान होना है तो मणिपुर में दो चरणों में अन्य
राज्यों में वोटिंग 14 फरवरी को होगी। जिस दिन चुनाव
में मतदान तिथियों की घोषणा हुई, उसी दिन से इन राज्यों में चुनावी
आचार संहिता भी लागू हो गई। देश में स्वतंत्र चुनावों के लिए चुनाव आयोग के बनाए
नियमों यानी आचार संहिता का पालन करना सभी राजनैतिक दलों की जिम्मेदारी होती
है। नियम
तोड़ने वालों को लिए सजा का भी प्रावधान है। आचार संहिता के उल्लंघन पर दंडात्मक कार्रवाई की
जा सकती है,
जो कई तरह की हो सकती है तो नियम न टूटें या फिर
नियम तोड़ने वालों की जानकारी सही विभाग तक पहुंचाई जा सके, इसके लिए जानते हैं कि क्या है आचार संहिता के नियम:- आदर्श
आचार संहिता के कारण उन कामों पर पाबंदी होती है, जिनसे
किसी भी तरह से वोट प्रभावित हो सके। जैसे:-# सार्वजनिक
उद्घाटन, शिलान्यास बंद।# नए
कामों की स्वीकृति बंद होगी।# सरकार की
उपलब्धियों वाले
होर्डिंग्स नहीं लगेंगे।# संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में
नहीं होंगे शासकीय दौरे।# सरकारी वाहनों में नहीं
लगेंगे सायरन।# सरकार की उपलब्धियों वाले लगे हुए होर्डिंग्स
हटाए जाएंगे।# सरकारी भवनों में पीएम, सीएम, मंत्री, राजनीतिक व्यक्तियों के फोटो
निषेध रहेंगे।# सरकार की उपलब्धियों वाले प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और अन्य मीडिया में विज्ञापन नहीं दे सकेंगे।# किसी तरह के रिश्वत या प्रलोभन से बचें ना दें, ना लें।# सोशल मीडिया पर पोस्ट करने पर
खास खयाल रखें। आपकी एक पोस्ट
आपको जेल भेजने के लिए काफी है। इसलिए किसी तरह
मैसेज को शेयर करने या लिखने से पहले आचार संहिता के नियमों को ध्यान से पढ़ लें। आम
आदमी पर भी लागू:- कोई आम आदमी भी इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो उस पर भी आचार संहिता के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसका
आशय यह है कि अगर आप अपने किसी नेता के प्रचार में लगे हैं तब भी आपको इन नियमों
को लेकर जागरूक रहना होगा। अगर कोई राजनेता आपको इन नियमों के इतर काम करने के लिए
कहता है तो आप उसे आचार संहिता के बारे में बताकर ऐसा करने से मना कर सकते हैं।
क्योंकि ऐसा करते पाए जाने पर तत्काल कार्रवाई होगी। ज्यादातर मामलो में आपको
हिरासत में लिया जा सकता है। राज्यों में चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही
सरकारी
कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक निर्वाचन आयोग के कर्मचारी बन जाते
हैं। चुनाव आचार संहिता चुनाव आयोग के बनाए वो नियम हैं, जिनका पालन हर पार्टी और हर उम्मीदवार के लिए जरूरी है। इनका
उल्लंघन करने पर सख्त सजा हो सकती है। चुनाव लड़ने पर रोक लग सकती है। FIR हो सकती है और उम्मीदवार को जेल भी जाना पड़ सकता है। चुनाव के
दौरान कोई भी मंत्री सरकारी दौरे को चुनाव के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता। सरकारी
संसाधनों का किसी भी तरह चुनाव के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। यहां तक कि कोई
भी सत्ताधारी नेता सरकारी वाहनों और
भवनों का चुनाव के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता।
केंद्र सरकार हो या किसी भी प्रदेश की सरकार, न तो
कोई घोषणा कर सकती है, न शिलान्यास, न लोकार्पण कर सकते हैं। सरकारी खर्च से ऐसा आयोजन भी नहीं किया
जाता है, जिससे किसी भी दल विशेष को लाभ पहुंचता हो। इस पर नजर रखने के
लिए चुनाव आयोग पर्यवेक्षक नियुक्त करता है। उम्मीदवार और पार्टी को जुलूस निकालने
या रैली और बैठक करने के लिए चुनाव आयोग से अनुमति लेनी होती है। इसकी जानकारी निकटतम
थाने में भी देनी होती है। सभा के स्थान व समय की पूर्व सूचना पुलिस अधिकारियों को
देना होती है। कोई भी पार्टी या उम्मीदवार ऐसा काम नहीं कर सकती, जिससे जातियों और धार्मिक या भाषाई समुदायों के बीच मतभेद बढ़े
और घृणा फैले। मत पाने के लिए रिश्वत देना, मतदाताओं को परेशान करना भारी पड़ सकता है। व्यक्तिगत टिप्पणियां करने पर भी चुनाव आयोग
कार्रवाई कर सकता है। किसी की अनुमति के बिना उसकी दीवार या भूमि का उपयोग नहीं
किया जा सकता। मतदान के दिन मतदान केंद्र से सौ मीटर के दायरे में चुनाव प्रचार पर
रोक और मतदान से एक दिन पहले किसी भी बैठक पर रोक लग जाती है। पूरी चुनावी प्रक्रिया
के दौरान कोई सरकारी भर्ती नहीं की जाएगी। चुनाव के दौरान यह माना जाता है कि कई
बार कैंडिडेट्स शराब वितरित करते हैं, इसलिए
कैंडिडेट्स द्वारा वोटर्स को शराब का वितरण आचरण संहिता में एकदम मना है।