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विधवा महिलाओ के जीवन को तिरस्कृत और उपेक्षित होने से रोकने का प्रयास करना होगा कृष्ण कुटीर आश्रम सम्बोधन में बोले राष्ट्रपति कोविंद
Posted by : achhiduniya
27 June 2022
भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने उत्तर
प्रदेश के वृंदावन में कृष्णा कुटीर का दौरा किया। सभा को
संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी संस्कृति में महिलाओं को देवी कहा
गया है। यहां तक कहा गया है कि जहां नारी का सम्मान होता है,वहां देवताओं का वास होता है। लेकिन लंबे समय से हमारे समाज
में कई सामाजिक बुराइयां पैदा हुई हैं। बाल विवाह,सती और
दहेज की तरह विधवा जीवन भी एक सामाजिक बुराई है। यह सामाजिक बुराई हमारे देश की
संस्कृति पर धब्बा है। यह कलंक जितनी जल्दी दूर हो जाए,
उतना
अच्छा है। राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसा देखा गया है कि किसी महिला के पति की मृत्यु
के बाद न केवल उस परिवार का बल्कि समाज का भी उस महिला के प्रति नजरिया बदल जाता
है। विधवाओं की उपेक्षा को रोकने के लिए हमें आगे आना होगा और समाज को जगाना होगा।
समय-समय पर कई संतों और समाज सुधारकों ने ऐसी तिरस्कृत माताओं और बहनों के कठिन
जीवन को बेहतर बनाने के प्रयास किए हैं। राजा राम मोहन राय, ईश्वर
चंद्र विद्यासागर और स्वामी दयानंद
सरस्वती को अपने प्रयासों में कुछ सफलता मिली
लेकिन अभी भी इस क्षेत्र में बहुत कुछ किया जाना बाकी है। राष्ट्रपति ने कहा कि कृष्ण
कुटीर जैसे आश्रय स्थलों की स्थापना एक सराहनीय पहल है। लेकिन उनकी राय में समाज
में ऐसे आश्रय गृहों के निर्माण की कोई आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। इसके बजाय,
पुनर्विवाह, आर्थिक स्वतंत्रता, पारिवारिक संपत्ति में हिस्सेदारी और निराश्रित महिलाओं के सामाजिक और
नैतिक अधिकारों की सुरक्षा जैसे प्रयासों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और इन
उपायों के माध्यम से हमारी माताओं और बहनों में आत्मनिर्भरता और स्वाभिमान को
बढ़ावा देना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा
कि समाज के इतने बड़े और महत्वपूर्ण तबके की अनदेखी नहीं की जा सकती। हम सभी को
मिलकर इन तिरस्कृत और उपेक्षित महिलाओं के प्रति सामाजिक जागरुकता फैलानी है।
सामाजिक कुरीतियों, धार्मिक मान्यताओं और विरासत के
अधिकार से जुड़े भेदभाव को दूर करना होगा। संपत्ति के वितरण में भेदभाव और बच्चों
पर महिलाओं के अधिकारों से वंचित करने की समस्याओं का समाधान करना होगा। तभी ये
महिलाएं स्वाभिमान और आत्मविश्वास का जीवन जी सकेंगी। उन्होंने समाज के जिम्मेदार
नागरिकों से इन महिलाओं को समाज की मुख्य धारा में शामिल करने के लिए प्रयास करने
की अपील की।
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