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- “फडणवीस”जूनियर के नीचे काम करना उनके कर्मों का फल...मुखपत्र सामना से तंज़
Posted by : achhiduniya
03 July 2022
सामना में एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री और फडणवीस
के उपमुख्यमंत्री बनने की तुलना भूकंप से की गई है। कहा गया है कि ‘महाराष्ट्र की सियासत में एकनाथ शिंदे की बगावत से बड़ा भूकंप, पिछले 9 दिनों में तब आया, जब
एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री और देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बनेंगे, ऐसा कहने वाले धराशायी हो गए। आरोप लगाया गया कि महाराष्ट्र भाजपा
का एकतरफा नेतृत्व शिंदे के हाथ में था। फडणवीस का डिप्टी सीएम पद लेने से इनकार
का फैसला भी भाजपा नेतृत्व ने ठुकरा दिया। उन्हें किसी समय अपने जूनियर मंत्री रहे
शिंदे के मातहत काम करना पड़ रहा है, ये यह
उनके कर्मों का फल है। शिवसेना ने सामना में कहा कि 2019 में सत्ता
का 50-50 का फॉर्मूला उन्होंने ठुकराया था, उसी के बाद महाविकास आघाड़ी सरकार बनी। उद्धव ठाकरे ढाई साल मुख्यमंत्री बने और अब बागी शिवसैनिक शिंदे को यह पद भाजपा हाईकमान ने दिया है। यह काल द्वारा फडणवीस से लिया गया बदला है। आगे लिखा गया है कि देवेंद्र फडणवीस का दुखी मन से उपमुख्यमंत्री बनकर अपने जूनियर के नीचे काम करना उनके कर्मों का फल है। आरोप लगाया गया है कि शिवसेना के बागियों और बीजेपी ने राजनीतिक साजिश रचकर राज्य
को अस्थिर किया। राज्यपाल
ने अपनी शक्तियों का अप्रत्यक्ष रूप से गलत इस्तेमाल कर धोखे से सत्ता छीनने में
मदद की। राज्यपाल और सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाते हुए
सामना में कहा गया है कि सभी विधायक उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना उम्मीदवार
के रूप में जीते थे, फिर भी उन्होंने उद्धव के खिलाफ
बगावत की। दलबदल विरोधी कानून के तहत उनका विधायक पद जा सकता है,लेकिन महाराष्ट्र के राज्यपाल और सर्वोच्च न्यायालय ने इन लोगों बल
प्रदान
किया। आरोप लगाया गया है कि अयोग्यता का सामना कर रहे विधायकों ने महाराष्ट्र का
राजनीतिक भविष्य तय किया और राज्यपाल ने संविधान से परे जाकर काम किया। सामना ने
लिखा कि किसी को पार्टी बदलनी है तो उसमें जनता को मुंह दिखाने का सामर्थ्य होना
चाहिए। ऐसे विधायक इस्तीफा दें, नहीं तो उन्हें दलबदल कानून
के तहत निष्कासित किया जाना चाहिए। शिवसेना ने सामना में लिखा कि कम-से-कम 16
विधायक ईडी और अन्य निजी वजहों से भाग गए। इसी की वजह से कुछ लोग महाविकास अघाड़ी
सरकार को अप्राकृतिक कहने लगे,लेकिन ये नई सरकार उससे भी
ज्यादा अप्राकृतिक होगी। कहा गया कि महाराष्ट्र की राजनीति में अब आदर्श नहीं रहा
है। उसकी खिचड़ी बन गई है।
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