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- गिरता रुपया बढ़ता डॉलर क्या महंगाई और मंदी की चपेट में आएगा भारत...?
Posted by : achhiduniya
24 September 2022
शुक्रवार को रुपया 30 पैसे की गिरावट के साथ
81.09 रुपये प्रति डॉलर के अब तक के सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ। एक समय रुपया
81.23 के स्तर तक लुढ़क गया था। रुपया की गिरावट रोकने के लिए आरबीआई क्या फैसले
लेता है, यह देखना अहम है। अगर रुपया की गिरावट रोकने के लिए मुद्रा
भंडार का सहारा लिया जाता है तो वो भी टेंशन की बात है क्योंकि देश के विदेशी
मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट जारी है। सोलह सितंबर को समाप्त सप्ताह में यह
5.219 अरब डॉलर घटकर 545.652 अरब डॉलर रह गया। विदेशी मुद्रा भंडार इससे पिछले
सप्ताह 2.23 अरब डॉलर घटकर 550.87 अरब डॉलर रह गया था। रिजर्व बैंक की मौद्रिक
नीति समिति की
तीन दिवसीय बैठक 28 सितंबर से शुरू होगी। मौद्रिक
नीति समीक्षा 30 सितंबर को पेश की जाएगी। ऐसा माना जा रहा है कि
महंगाई कंट्रोल के लिए केंद्रीय रिजर्व बैंक एक बार फिर रेपो रेट में बढ़ोतरी करने
के मूड में है। अलग-अलग बैंकों और विश्लेषक फर्मों से जुड़े अर्थशास्त्रियों की आम
राय है कि आरबीआई रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि का फैसला कर
सकता है। ऐसा होने पर रेपो रेट बढ़कर 5.90 प्रतिशत
हो जाएगी। केंद्रीय रिजर्व बैंक रेपो रेट में बढ़ोतरी महंगाई को कंट्रोल करने के
लिए करेगा।
इसका सीधा मतलब ये है कि बैंक लोन की ब्याज दरें बढ़ाने के लिए प्रेरित
होंगे और फिर आपके लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा। आमतौर पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी
कर लोगों के जेब पर नकेल कसा जाता है। दरअसल, अर्थशास्त्र
में डिमांड और सप्लाई के बीच बैलेंस बनाकर रखना जरूरी होता है। अमेरिका के सेंट्रल
बैंक फेड रिजर्व द्वारा लगातार तीसरी बार ब्याज दर बढ़ाए जाने के बाद अब लगभग
तय
मान लिया गया है कि दुनिया फिर से मंदी की चपेट में आने वाली है। इस बात पर
अमेरिकी अर्थशास्त्री और 2008 मंदी की सटीक भविष्यवाणी करने वाले नूरील रूबिनी ने
भी मुहर लगा दी है। इस माहौल के बीच अब सवाल है कि क्या इससे भारत प्रभावित होगा, या भारत किसी तरकीब के जरिए खुद को मंदी से बचाए रख सकता है? ऐसे तमाम सवालों के जवाब केंद्रीय रिजर्व बैंक की आगामी बैठक
में मिलने की उम्मीद की जा रही है।
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