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- कांग्रेस के कप्तान तो बन गए खड़गे लेकिन कमान किसके हाथ...?
Posted by : achhiduniya
19 October 2022
पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस पार्टी के नए अध्यक्ष चुने गए। उन्होंने चुनाव में अपने खिलाफ खड़े होने वाले
शशि थरुर को 6810 वोटों से हरा दिया। खड़गे को जहां 7897 वोट मिले तो वहीं थरुर को केवल 1078 ही वोट मिल सके। बता दें कि करीब 24 साल बाद ऐसा हुआ है जब गैर कांग्रेस परिवार से कोई पार्टी का
अध्यक्ष बन रहा है। इससे पहले सीताराम केसरी गैर गांधी अध्यक्ष रहे थे। अपने सबसे
बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस पार्टी भले ही इस चुनाव को अपने लिए बड़ी सफलता मान
रही हो लेकिन जमीनी सच तो
यही है कि पार्टी को दोबारा मजबूत करने के लिए अध्यक्ष
बनने के लिए नए अध्यक्ष के सामने चुनौतियां हैं। नए अध्यक्ष के रुप में खड़गे के
सामने सबसे बड़ी चुनौती आने वाले विधानसभा चुनाव होंगे। इस साल के अंत में देश के
दो राज्यों गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इन राज्यों
में खड़गे की सबसे बड़ी जिम्मेदारी पार्टी कार्यकर्ताओं में जान फूंकने और सही तरीके
से टिकट के बंटवारे की
होगी। इसके बाद अगले साल एमपी राजस्थान और छग समेत 5
राज्यों में होने वाले विधानसभा में भी यही जिम्मेदारी खड़गे को निभानी होगी। इस
दौरान उनके सामने पार्टी के अध्यक्ष के सामने खुद को साबित करने की चुनौती होगी। खड़गे
के सामने पार्टी में लंबे समय से जारी कलह को रोकने चुनौती होगी। बीते लोकसभा और
विधानसभा में पार्टी को मिली करारी हार से कई बड़े और छोटे नेता कार्यकताओं समेत
पार्टी को छोड़कर जा रहे हैं। ऐसे में नए अध्यक्ष के सामने इन नेताओं और
कार्यकर्ताओं को
रोकना भी बड़ी चुनौती होगी। इसके अलावा पार्टी में आलाकमान से
नाराज नेताओं के गुट जी-23 के साथ सामंजस्य बिठाने और
उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने की चुनौती भी होगी। पार्टी के सभी नेता पार्टी लाइन पर
चलें, ये नए अध्यक्ष पद के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। कांग्रेस के
शीर्ष नेतृत्व को लेकर सबसे बड़ी शिकायत संवाद स्थापित न करना रहा है। पार्टी छोड़
चुके कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इसे पार्टी की मौजूदा समय की सबसे प्रमुख
समस्या बताया है। खड़गे के सामने
ऊपर से लेकर नीचे तक के नेताओं और कार्यकर्ताओं
के साथ शीर्ष नेतृत्व की बंद हुई संवाद प्रकिया फिर से बहाल करने की जिम्मेदारी
होगी।
देश के अहम राज्य राजस्थान में अगले
वर्ष विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, लेकिन
इससे पहले ही राजस्थान कांग्रेस के दो बड़े नेताओं के बीच घमासान चल रहा है। यहां
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पार्टी के दिग्गज नेता सचिन पायलट के बीच सियासी लड़ाई
चरम पर पहुंच गई है। दोनों नेताओं के गुट एक दूसरे पर जमकर बयानबाजी कर रहे हैं।
इन दोनों के बीच पार्टी आलाकमान की तरफ से कई बार सुलह कराने की कोशिश हुई है
लेकिन यह असफल ही साबित हुई है। ऐसे में मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने अध्यक्ष के
रुप में इन दोनों के बीच चल रही सियासी लड़ाई को खत्म कराना बड़ी चुनौती होगी। खड़गे
के सामने पार्टी केंद्रीय ढांचे को मजबूत करना भी बड़ी चुनौती होगी। इसके लिए
पार्टी से जुड़े हर बड़े फैसलों के लिए पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं की एक मजबूत
कमेटी का निर्माण करना होगा। इन सभी चुनौतियों से पार पाकर ही खड़गे पार्टी को नई ताकत प्रदान कर सकते हैं।
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