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- CAA को चुनौती देने वाली 240 जनहित याचिकाओं की सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट...
अदालत ने जनवरी 2020 में स्पष्ट किया था कि वह केंद्र की बात सुने बिना सीएए के क्रियान्वयन पर रोक नहीं लगाएगी। सीएए को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच पर केंद्र सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगते हुए शीर्ष अदालत ने देश के उच्च न्यायालयों को इस मुद्दे पर लंबित याचिकाओं की सुनवाई पर रोक लगा दी थी। याचिका दायर करने वाले अन्य महत्वपूर्ण लोगों में कांग्रेस नेता जयराम रमेश, राजद नेता मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा और एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल हैं। मुस्लिम संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन, पीस पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, गैर-सरकारी संगठन
'रिहाई मंच', अधिवक्ता एमएल शर्मा और कानून के छात्रों ने भी इस अधिनियम को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है। उच्चतम न्यायालय पहले ही दिन विवादास्पद नागरिकता अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं सहित करीब 240 जनहित याचिकाओं की सुनवाई करेगा। प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति एस.रवींद्र भट और न्यायमूर्ति बेला एम.त्रिवेदी की पीठ के समक्ष केवल सीएए के मुद्दे पर
31 अक्टूबर को 232 याचिकाएं सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है, जिनमें ज्यादातर जनहित याचिकाएं हैं। इससे पहले, न्यायमूर्ति ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि सीएए को चुनौती देने वाली याचिकाओं को तीन-न्यायाधीशों की पीठ को भेजा जाएगा। इस मुद्दे पर मुख्य याचिका इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने दायर की थी।
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