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- जनसंख्या नियंत्रण कानून की है जरूरत विजयादशमी पर बोले RSS चीफ मोहन भागवत
Posted by : achhiduniya
05 October 2022
चीन की एक परिवार एक संतान की नीति का उल्लेख
करते हुए RSS
चीफ मोहन भागवत ने कहा कि जहां हम जनसंख्या पर
नियंत्रण का प्रयास कर रहे हैं, वहीं हमें देखना चाहिए कि चीन
में क्या हो रहा है। उस देश ने एक परिवार, एक
संतान नीति अपनाया और अब वह बूढ़ा हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में 57 करोड़
युवा आबादी के साथ यह राष्ट्र अगले 30 वर्षों तक युवा बना रहेगा। भागवत ने कहा कि
दो प्रकार की बाधाएं सनातन धर्म के समक्ष रुकावट बन रही हैं जो भारत की एकता एवं
प्रगति के प्रति शत्रुता रखने
वाली ताकतों द्वारा सृजित की गई हैं। उन्होंने कहा
कि ऐसी ताकतें गलत बातें एवं धारणाएं फैलाती हैं, अराजकता
को बढ़ावा देती हैं, आपराधिक कार्यों में संलग्न
होती हैं, आतंक तथा संघर्ष एवं सामाजिक अशांति को बढ़ावा देती हैं। विजयादशमी
के अवसर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख
मोहन भागवत ने कहा कि भारत को जनसंख्या नियंत्रण कानून की जरूरत है। अगर इस पर
जरूरी कदम न उठाए गए तो देश धर्म आधारित
असंतुलन और जबरन धर्मांतरण जैसे
मामलों पर बंटेगा। उन्होंने कोसोवो और दक्षिण सूडान का हवाला दिया, जो आबादी में धर्मों के बीच असंतुलन के कारण उभरे हैं। उन्होंने
हिंदी में अपने भाषण में कहा कि जनसंख्या नियंत्रण के साथ-साथ धार्मिक आधार पर
जनसंख्या संतुलन भी महत्वपूर्ण है, जिसे
नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि जनसंख्या नीति व्यापक
सोच-विचार के बाद तैयार की जाए और यह सभी पर समान रूप से लागू हो। यह सही है कि
जनसंख्या जितनी
अधिक उतना बोझ ज़्यादा जनसंख्या का ठीक से उपयोग किया तो वह साधन
बनता है। हमको भी विचार करना होगा कि हमारा देश 50 वर्षों
के बाद कितने लोगों को खिला और झेल सकता है इसलिए जनसंख्या की एक समग्र नीति बने। भागवत
ने कहा कि केवल समाज के मजबूत एवं सक्रिय सहयोग से ही हमारी समग्र सुरक्षा एवं
एकता सुनिश्चित की जा सकती है। उन्होंने कहा कि शासन व प्रशासन के इन शक्तियों के
नियंत्रण व निर्मूलन के प्रयासों में हमको सहायक बनना चाहिए। समाज का सबल व सफल
सहयोग ही देश की सुरक्षा व एकात्मता को पूर्णत: निश्चित कर सकता है। सरसंघचालक ने
कहा कि समाज के विभिन्न वर्गों में स्वार्थ व द्वेष के आधार पर दूरियां और दुश्मनी
बनाने का काम स्वतन्त्र भारत में भी चल रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे तत्वों के
बहकावे में न फंसते हुए, उनके प्रति निर्मोही होकर
निर्भयता पूर्वक उनका निषेध व प्रतिकार करना चाहिए। देश के विकास के संदर्भ में
सरसंघचालक ने कहा कि भारत के बल में, शील में
तथा जगत प्रतिष्ठता में वृद्धि का निरंतर क्रम देखकर सभी आनंदित हैं और इस राष्ट्रीय
नवोत्थान की प्रक्रिया को अब सामान्य व्यक्ति भी अनुभव कर रहा है। भागवत ने कहा कि सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता
की ओर ले जाने वाली नीतियों का अनुसरण शासन द्वारा हो रहा है तथा विश्व के
राष्ट्रों में अब भारत का महत्व और विश्वसनीयता बढ़ गई है। भागवत ने कहा शक्ति
शांति का आधार है। हमें महिलाओं के साथ समानता का व्यवहार करने एवं उन्हें अपने
निर्णय स्वयं लेने की स्वतंत्रता देकर सशक्त बनाने की आवश्यकता है। जो सब काम मातृ
शक्ति कर सकती है वह सब काम पुरुष नहीं कर सकते, इतनी
उनकी शक्ति है और इसलिए उनको इस प्रकार प्रबुद्ध, सशक्त
बनाना, उनका सशक्तिकरण करना और उनको काम करने की स्वतंत्रता देना और
कार्यों में बराबरी की सहभागिता देना अहम है।
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