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- चुनाव से पहले बाबाओ के दर पर राजनेताओ का जमावड़ा सियासी हित या...
Posted by : achhiduniya
17 February 2023
लोगों की मान्यता है कि गंगा में नहाने से सारे
पाप धूल जाते हैं, लेकिन यदि ऐसा कहें कि एमपी की सियासत में नेतागण
अपने पाप को धोने के लिए साधु संतों का सहारा लेते हैं तो इसमें कोई संशय नहीं है।
मालूम हो कि जब दिग्विजय सिंह हिंदुत्व के खिलाफ विवादित बयान दे रहे थे, तब दिवंगत शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने कई मौकों पर उनका
बचाव किया। मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड, निमाड़
और मालवा भाग में कथा का बहुत ज्यादा प्रचलन है। ऐसे राजनेता अपने इलाके में
पॉपुलर कथावाचक को बुलाकर कथा
करवाते हैं। संत भागवत कथा के दौरान नेताओं का खूब
गुणगान करते हैं, जिससे लोगों के बीच पार्टी और नेता दोनों का
प्रचार-प्रसार होता है। इतना ही नहीं कई संत नेताओं को पार्टी का टिकट दिलवाने में
भी मदद करते हैं और सत्ता में आने के बाद नेता भी संतों और कथावाचकों का कर्ज
उतारते हैं। मध्य प्रदेश में कुछ माह बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। राजनेताओं से लेकर साधु-संत भी
अपने-अपने इलाकों में सक्रिय हो गए है। पिछले दिनों राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री
कमलनाथ और बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री के
बीच हुई मुलाकात सुर्खियों में है। भले ही कमलनाथ इस मुलाकात को औपचारिक बता रहे हों, लेकिन राज्य की सियासत में बाबाओं और नेताओं का गठजोड़ बहुत पुराना है। साधु-संत के द्वारा जमीनी स्तर पर पकड़ बना के नेताओं को कुर्सी तक पहुंचाने की परंपरा से हर कोई वाकिफ है। हालांकि, कुर्सी पर पहुंचने के बाद राजनेता भी इस कर्ज को बखूबी अदा करते हैं। मध्य प्रदेश की सियासत में साधु-संतों की एंट्री तेजी से होने लगी। इनमें कम्प्यूटर बाबा, भैयूजी महाराज, हरिहरनंद
जी महाराज आदि संत
शामिल हैं। अब इसमें नया नाम बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री का जुट गया है।
राज्य में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे-वैसे बागेश्वर धाम दरबार में
नेताओं का तांता लगना शुरू हो गया है। ऐसे में लोगों के जहन में यह सवाल तेजी से
उठ रहा है कि मध्य प्रदेश की सियासत में चुनाव से ठीक पहले सांधु-संत क्यों सक्रिय
हो जाते हैं?
और अचानक यह सुर्खियों में कैसे आ जाते हैं?
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