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- सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने अनुच्छेद 370 पर छिड़ी बहस पर लगाई स्थाई रोक...
Posted by : achhiduniya
12 December 2023
आर्टिकल 370 भारतीय संविधान का एक प्रावधान था।
जो जम्मू-कश्मीर को एक विशेष राज्य का दर्जा देता था। बता दें कि आर्टिकल 370 के प्रावधान के मुताबिक
भारतीय संविधान भी जम्मू कश्मीर में सीमित हो जाता था। भारतीय संविधान में आर्टिकल
370
को
प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने 5 महीनों की बातचीत के बाद संविधान
में जोड़ा गया था। इसके लिए पहले साल 1951 में जम्मू-कश्मीर की
संविधान सभा का गठन किया गया था, जिसमें कुल 75 सदस्य थे। सभा को
जम्मू-कश्मीर के संविधान का अलग मसौदा तैयार करने को कहा गया। जो नवंबर 1956 को पूरा हुआ था, जिसके बाद 26 जनवरी 1957 को राज्य में
विशेष
संविधान लागू कर दिया गया था। इस लिए जब भी भारतीय संविधान की बात होगी, उस वक्त अनुच्छेद या
आर्टिकल शब्द का उपयोग किया जाता है। भारतीय न्यायिक प्रणाली में सेक्शन शब्द का
उपयोग भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर (सीआरपीसी) में
किया जाता है। बता दें कि आईपीसी धारा 370 का उपयोग धमकियों का उपयोग
करने,बल प्रयोग, किसी अन्य प्रकार की जबरदस्ती, अपहरण, धोखाधड़ी या धोखाधड़ी का
अभ्यास करने जैसे अपराध में किया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 और 35 (ए) को निरस्त करने का
ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह पूरी तरह
से उचित है कि पांच अगस्त, 2019 को हुआ निर्णय संवैधानिक एकीकरण को
बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने बीते सोमवार को अपना फ़ैसला
सुनाते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था। कोर्ट ने
आगे कहा कि राष्ट्रपति के पास इसे हटाने का अधिकार था। फैसला सुनाते हुए अदालत ने
कहा कि जम्मू-कश्मीर के पास बाक़ी राज्यों से अलग कोई संप्रभुता नहीं है।