- Back to Home »
- Judiciaries »
- उर्स पर रोक,सैयद सालार मसूद गाजी कोई सूफी संत नहीं, मुगल आक्रांता..हिंदू संगठन का विरोध पहुंचा हाई कोर्ट
उर्स पर रोक,सैयद सालार मसूद गाजी कोई सूफी संत नहीं, मुगल आक्रांता..हिंदू संगठन का विरोध पहुंचा हाई कोर्ट
Posted by : achhiduniya
08 May 2025
मुगल बादशाह औरंगजेब
को लेकर जारी विवाद के बीच उत्तर प्रदेश में सैयद सालार मसूद गाजी को लेकर विवाद
सामने आया। ये विवाद सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर लगने वाले उर्स शुरू हुआ,
जिसे नेजे का मेला भी कहा जाता है। हिंदू
संगठन सैयद सालार मसूद गाजी कोई सूफी
संत नहीं, मुगल
आक्रांता कहकर मेले का विरोध किए। सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह यूपी के बहराइच जिले
में है। सैकड़ों सालों से यहां एक बड़ा मेला लगता रहा है। बहराइच के अलावा भी यूपी
के कई जिलों में भी ये मेला लगता रहा है। सैयद सालार मसूद गाजी,
क्रूर अफगान हमलावर महमूद गजनवी का भांजा
और सेनापति था, जिन पर
गुजरात के सोमनाथ
मंदिर को लूटने का आरोप है। हालांकि, एक धड़ा सोमनाथ मंदिर में लूट को लेकर कहता है कि उस वक्त सालार मसूद की उम्र 11
साल थी और 18 साल की उम्र में यूपी के बहराइच में राजा
सुहेलदेव ने उसे युद्ध में हरा दिया था। कहा जाता है कि सैयद सालार मसूद गाजी की
मौत के बाद ही बहराइच में मजार बनी थी। यह मामला वक्फ नंबर 19
दरगाह शरीफ, बहराइच की ओर से दायर रिट याचिका पर आधारित है।
याचिका के पक्ष में वरिष्ठ अधिवक्ता लालता प्रसाद मिश्र ने अदालत में दलील दी कि
सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह 1375 ई. में फिरोजशाह तुगलक द्वारा बनवाई गई थी।
तब से
लेकर आज तक हर साल जेठ के महीने में एक महीने तक इस दरगाह पर उर्स का आयोजन किया
जाता है, जिसमें
देश-विदेश के चार-पांच लाख लोग आते हैं। याचिका में यह भी कहा गया कि इस बार उर्स 15
मई से शुरू होने वाला था,
लेकिन स्थानीय प्रशासन ने बिना किसी
स्पष्ट कारण के इसे अनुमति देने से इंकार कर दिया। अब ये मामला हाई कोर्ट पहुंच
गया है। दरगाह पर आयोजित होने वाले उर्स को लेकर स्थानीय प्रशासन ने इस बार
प्रतिबंध लगा दिया, जिसके खिलाफ दरगाह प्रशासन ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में
याचिका दायर की है। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को अपना
पक्ष रखने के लिए कहा है और मामले की सुनवाई की अगली तारीख 14
मई तय की गई है।