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- प्रभु यीशु मसीह.........
Posted by : achhiduniya
25 December 2014
जिनका न कोई शुरू और न ही अंत....
मित्रो प्रणाम .....ईश्वर के कई रूप है
जिसे सभी लोग भगवान ,खुदा ,गुरु,गाड या अद्रश्य
शक्ती और कुदरत के रूप मे पूजते व जानते
है। उसी के एक रूप जिसे जीसस के नाम से पहचाना जाता है। धरती पर इंसानी रूप में भेजे गए पैगम्बरों और अवतारों
में से एक थे प्रभु यीशू मसीह। 25 दिसंबर को ईसा मसीह का जन्मदिवस माना जाता है और
उसी रूप में क्रिसमस का आयोजन होता है। यह वास्तव में रोमन जाति के एक त्योहार का
दिन था, जिसमें सूर्य देवता की आराधना की जाती थी। यह माना
जाता था कि इसी दिन सूर्य का जन्म हुआ।
जिस तरह परमेश्वर की सृजना नहीं हुई ठीक
उसी तरह मसीह भी हैं जिनका न कोई शुरू और न ही अंत है। प्रभु यीशू मसीह की आमद से पहले
यशाया नबी ने मसीह के बारे में भविष्यवाणी की थी जिसके बारे में पवित्र बाईबल में
इस तरह लिखा गया है कि प्रभु अर्थात परमेश्वर तुम्हें एक निशान देगा। देखो एक
कुंवारी गर्भवती होगी और पुत्र जनेगी। वे उसका नाम इमानुएल रखेंगे। इस भविष्यवाणी
की पुष्टि युहन्ना नबी ने मसीह के जन्म के समय की। युहन्ना नबी ने कहा कि देहधारी
हुआ शब्द का वर्णन मसीह के जन्म से हजारों वर्ष पहले लिखी गई पवित्र बाईबल को
प्राचीन पुस्तक उत्पत्ति में किया गया है। इसमें ऐसा लिखा गया है आदि में शब्द था।
शब्द परमेश्वर के साथ था, शब्द ही परमेश्वर था, यहां शब्द प्रभु यीशू मसीह के लिए प्रयोग किया गया था। यहूदिया के बादशाह
हैरोदीस जो अपने आपको परमेश्वर कहता था, अपनी प्रजा पर
अत्यंत जुल्म ढा रहा था। उस समय परमेश्वर ने उन मजलूम लोगों को हैरोदीस के जुल्मों
से राहत दिलवाने के लिए अपने सबसे प्यारे और पहले बेटे (शब्द) यीशू मसीह को इस
संसार में भेजा। जिस तरह परमेश्वर सृजा नहीं गया उसी तरह मसीह भी हैं। जैसे
परमेश्वर आदि अर्थात शुरू से है उसी तरह मसीह भी है जिसका न कोई शुरू और न कोई अंत
है। वह अद्वितीय हैं। प्रभु यीशू मसीह के जन्म के बारे में पवित्र बाईबल में इस
तरह लिखा गया है यीशू की माता मरियम की एक बढ़ई यूसुफ के साथ मंगनी हो चुकी थी और
उनके इकट्ठे होने से पहले पवित्र आत्मा से मरियम गर्भवती पाई गई जबकि उसका पति
यूसुफ जो बड़ा धार्मिक मनुष्य था वह नहीं चाहता था कि उसको कलंकित करे।
उसने यह
दलील बनाई कि वह मरियम को चुपचाप छोड़ देगा। जब यूसुफ इस सोच में डूबा हुआ था तो
परमेश्वर के दूत ने स्वप्र में उसे दर्शन देकर कहा हे यूसुफ दाऊद के पुत्र तू अपनी
मंगेतर मरियम को घर लाने से न डर क्योंकि जो उसकी कोख में है वह पवित्र आत्मा से
है। वह पुत्र जनेगी। तू उसका नाम यीशू रखना। वह अपने लोगों को पापों से बचाएगा। यह
सब इसलिए हुआ कि जो प्रभु ने नबी की जुबानी कहा था पूरा हो। उन दिनों जब मरियम
गर्भवती थी तो कैसर ओगस्तस की हुकूमत द्वारा रायशुमारी के लिए यरूशलम के शहर
बैतलहम जाकर अपना नाम लिखवाने के लिए कहा गया जिसके तहत मरियम और यूसुफ को वहां
जाना पड़ा। वहां उनको ठहरने के लिए कोई जगह न मिलने पर उनको तबेले में ठहरना पड़ा। वहां यीशू का जन्म हुआ। जब यीशू का जन्म हुआ तो
आसमान पर एक रूहानी सितारा दिखाई दिया जिसकी रोशनी को देखकर सारा संसार जगमगा उठा।
इस रूहानी सितारे की चकाचौंध-रोशनी को देखकर संसार की चारों दिशाओं से
भविष्यवक्ताओं ने अपने ज्योतिष ज्ञान द्वारा पता लगाया कि वह हस्ती कहां पैदा हो
सकती है। तो चारों ज्योतिषी अपने-अपने देश से उस महान हस्ती (यीशू) की तलाश में
निकल पड़े। इस तलाश में रूहानी सितारे ने उनकी सहायता की।
प्रभु यीशू मसीह की
शिक्षाओं पर नजर डाली जाए तो ये इतनी सरल हैं कि आम आदमी उनको ग्रहण करके अपना
जीवन रूहानी बना सकता है। उनके पहाड़ी उपदेश बहुत ही प्रभावशाली हैं। उन्होंने
अपने इन उपदेशों में इंसान को अपने आपको पहचानने के लिए बहुत ही सरल ढंग से कहा कि
हे इंसान तू किसी की आंख का तिनका निकालने से पहले अपनी आंख शहतीर देख अर्थात किसी
के बारे में टिप्पणी करने से पहले अपने चरित्र पर नजर डाल।
सांता का घर उत्तरी ध्रुव में है और वे
उड़ने वाले रेनडियर्स की गाड़ी पर चलते हैं। सांता का यह आधुनिक रूप 19वीं सदी से
अस्तित्व में आया उसके पहले ये ऐसे नहीं थे। आज से डेढ़ हजार साल पहले जन्मे संत
निकोलस को असली सांता और सांता का जनक माना जाता है।लाल-सफेद कपड़ों में बड़ी-सी
श्वेत दाढ़ी और बालों वाले, कंधे पर गिफ्ट्स से भरा
बड़ा-सा बैग लटकाए, हाथों में क्रिसमस बेल लिए सांता को तो
आप जरूर जानते होंगे। क्रिसमस पर आप इनसे मिलें भी होंगे या फिर टीवी अखबारों में
इन्हें देखा होगा। बच्चों के प्यारे सांता जिन्हें क्रिसमस फादर भी कहा जाता है हर
क्रिसमस पर बच्चों को चॉकलेट्स, गिफ्ट्स देकर बच्चों की
मुस्कुराहट का कारण बन जाते हैं।
तभी तो हर क्रिसमस बच्चे अपने सांता अंकल का
बेसब्री से इंतजार करते हैं।संत निकोलस का जन्म तीसरी सदी में जीसस की मौत के बाद
मायरा में हुआ। वे एक रईस परिवार से थे। उन्होंने बचपन में ही अपने माता-पिता को
खो दिया। बचपन से ही उनकी प्रभु यीशु में बहुत आस्था थी। वे बड़े होकर ईसाई धर्म
के पादरी बाद में बिशप बने। उन्हें जरूरतमंदों और बच्चों को गिफ्ट्स देना बहुत
अच्छा लगता था। वे अक्सर जरूरतमंदों और बच्चों को गिफ्ट्स देते थे।
संत निकोलस
अपने उपहार आधी रात को ही देते थे क्योंकि उन्हें उपहार देते हुए नजर आना पसंद
नहीं था। वे अपनी पहचान लोगों के सामने नहीं लाना चाहते थे। इसी कारण बच्चों को
जल्दी सुला दिया जाता। आज भी कई जगह ऐसा ही होता है अगर बच्चे जल्दी नहीं सोते तो
उनके सांता अंकल उन्हें उपहार देने नहीं आते हैं। धीरे-धीरे क्रिसमस और सांता का
साथ गहराता चला गया और सांता पूरे विश्व में मशहूर होने के साथ-साथ बच्चों के
चहेते बन गए।
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