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Posted by : achhiduniya
27 December 2014
जलती "चिता" से भी भारी
बुझे मन की "चिंता".....
मित्रो प्रणाम
........क्या आप जानते है आपकी उम्र कितनी है या किसी भी व्यक्ती की उम्र के बारे मे
की वो कितना जीवन जीने वाला है उसकी म्रत्यु
कब ...? और कैसे....? होगी जब आप यह सब नही जानते तो आप किस बात की चिंता मे रहते
है। चिंता चीता से भी बड़कर होती है जो इंसान को जीते जी मार देती है । चीता तो केवल
मुर्दों को एक बार जलाती है,चिंता दिन प्रतिदिन जलाती है। चिंताओं से घिरे होने पर और चिंता मुक्त होकर जीने
में दृष्टिकोण पूरी तरह बदल जाता है। चिंताओं से मुक्त होकर जीने वाले अपनी समस्याओं
को बहुत आसानी से हल कर पाते हैं और उनसे उबरना भी जानते हैं।
जीवन में आनंद के लिए
अपनी चिंताओं की पहचान और उनसे मुक्ति का प्रयास जरूरी है।आने वाले कल मे क्या होगा
जब आप यह नही जानते तो फिर आप अपना आज क्यू .....?जाया कर रहे है।
अपने आसपास आपने ऐसे व्यक्तियों को जरूर देखा होगा जो बहुत छोटी-छोटी बातों को लेकर
चिंतित हो जाते हैं। बस के समय पर नहीं आने पर चिंतित, किसी
से तू-तू-मै–मै हो जाने पर चिंतित और अचानक
होने वाले बदलाव से भी चिंतित हो जाते है । किसी भी छोटे परिवर्तन को अपने लिए बड़ी चिंता का विषय बना लेना कुछ लोगो
की आदत होती है।इससे छुटकारा पाना या ना पाना
आप पर निर्भर करता है नाही दूसरा कोई व्यक्ती आपकी चिंता दूर करेगा ।
यह आदत साधारण
तह शांति और सुकून चैन से दूर ले जाती है और
उसका असर आपके व्यक्तीगत जीवन पर भी होता है।
चिंताएं हमारी मानसिक शांति व कामयाबी की राह
की सबसे बड़ा रोड़ा होती हैं। इसलिए दिमाग को
चिंताओं से मुक्त करना बहुत जरूरी है। जो आने
वाले कल के लिए चिंतित रहते हैं उनकी स्मरण शक्ती भी बुरी तरह से प्रभावित होती है।पल
की खबर नही और बरसो की चिंता इस तरह के लोग भविष्य मे होने वाली घटनाओ से भयभीत होकर
कोई भी फैसला अच्छे से नहीं ले पाते हैं। वे डरे, सहमे,दुखी रहते हैं और उनके डर का असर उनके फैसलो पर भी साफ
दिखाई देता है। चिंतित और चिंतामुक्त लोगो के बीच एक बड़ा फर्क यही है कि मुक्त व्यक्ति अपने
आज के बारे में ही सोचता है। वह उन चीजों को लेकर ज्यादा दुखी और चिंतित नहीं रहता है,जो अभी हुई ही नहीं
है।
वैज्ञानिक भी इस बात से सहमत हैं कि एक चिंता दूसरी और दूसरी, तीसरी
चिंता का कारण बनती है। जब आप सोचते हैं कि अगर ऐसा हुआ तो क्या होगा....?और फिर उन स्थितियों
के बारे में सोचने लग जाते हैं जो अभी आपसे कोसो दूर है। जो चिंतामुक्त व्यक्ति है वह समस्याओं के
भविष्य के बारे में सोचने के बजाय उन्हें हल करने पर ध्यान देता है। वह कल को लेकर
ज्यादा चिंतित नहीं रहता और इसलिए अपनी उर्जा का उपयोग आज में ही करता है। जो व्यक्ती
अपनी छोटी-छोटी चिंताओं पर ज्यादा सोचते हैं उनका सोचने का नजरिया भी अलग-अलग होता हैं। जैसे किसी व्यक्ति को नौकरी छूटने
की चिंता कुछ लोग ऐसे क्षण में यह सोचते हैं
कि दूसरी नौकरी कैसे पाई जा सकती है जबकि कुछ लोग यह सोचने लगते हैं कि नौकरी जाने
पर घर खर्च कैसे चलेगा । अपनी अन्य जरूरतों को लेकर वह बहुत ज्यादा दबाव महसूस करने
लगता है। इस तरह वह मनोराग के साथ नकारात्मक
दृष्टि कोण से बुरी तरह प्रभावित होता है और वह अपनी समस्या का हल खोजने में खुद को
असमर्थ पाता है। जो लोग ज्यादा चिंता पालते हैं कई बार उसकी वजह से मन में इस भय का
होना भी है कि उनका निरादर कर दिया जाएगा ।
जब चिंतामुक्त होकर काम करते हैं इस बात
के भय से मुक्त होकर ज्यादा बेहतर काम कर सकते हैं। इसलिए हार मानने या परिस्थितियो
के आगे झुकने के बजाय आनंद और श्रेष्ठता के
लिए काम करें तब आप जीवन को सही तरीके से जी भी सकेंगे। चिंता रहित मन से लिए गए निर्णय
के परिणामों पर गौर करें। चिंता से दूर रहकर ही समाधान के बारे में सोचा जा सकता है।
भविष्य को लेकर असुरक्षित महसूस करते रहते
हैं तो सोचें कहीं आप चिंता की वजह से जीवन के आनंद को खो तो नहीं रहे। सोचिए अगर चिंता
मुक्त होकर काम करें तो गड़बड़ियां कितनी कम हो सकती हैं। चिंता से मुक्त होकर ही आप
अपने काम में शत प्रतिशत योगदान कर सकते हैं।
यह जानना जरूरी है कि
छोटी-छोटी चिंताएं हमारे जीवन की गुणवत्ता को किस तरह प्रभावित करती हैं और उनसे मुक्ति
क्यों जरूरी है। यह इसलिए भी करना चाहिए क्योंकि चिंताएं हमारी स्वभावगत विशेषताओं
को खत्म कर देती हैं। लेकिन जब तक जीवन है तब तक चिंताएं रहेंगी ही। चिंताओं से पूरी
तरह मुक्त नहीं हुआ जा सकता है, वे तो जीवन का
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