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- स्माल से बनता है लार्ज ..... एक –एक कदम से मंजिल है पाना....
Posted by : achhiduniya
26 January 2015
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाऍ....
अपने इस देश को इन बुराइयों
से बचाने का प्रयास तो कर ही सकते है। उस नन्ही चिडिया की तरह ..... मित्रो प्रणाम.... यह काल्म पूरा आपके लिए इस काल्म मे आप
हमे अपनी सलाह [Suggetion],विषय-चर्चा
[Discussion],अपने व्यक्तिगत निर्णय,व्यक्तिगत
विचार [Opinion] चाहे समाज की अच्छाई या बुराई से संबंधित हो,प्रदेश,देश या सरकार की नीतियो जिसमे आप बदलाव की
जरूरत महसूस करते है।जो समाज,प्रदेश,देश
को नई दिशा व राह प्रदान करे,आप फोटो के साथ हमे मेल के
द्वारा भेज सकते है। क्योकि यह हमारा छोटा सा प्रयास है।
अच्छी दुनिया बनाने का जो
आपके सहयोग के बिना अधूरा होगा। अब आपका इंतजार खत्म करते हुए हम+आपसे, आप+ हमसे सीधे www.Achhiduniya.in वेब साइड के माध्यम से जुड चुके है।हम आपका तहे दिल से
शुक्रिया अदा करते है.दोस्तो हम आपके सिर्फ तीन सौ सेक्ंड {300-sec} चाह्ते है यानी सिर्फ
पांच मिनट.....आपको ह्म अपने इस “अच्छी
दुनिया डाट इन” को शुरु करने का उद्देश्य
बताना चाह्ते है,
ताकि आप भी ह्मारे इस मिशन के सहभागी बने.मित्रो आज देश-दुनिया मे बडते अपराध,रिश्वतखोरी,भ्रष्टाचारी,बेरोजगारी, बेईमानी तथा भागम-भागभरी जिन्द्गी से बच्चो,युवाओ,बडो
के नकारात्मक द्र्ष्टी कोण को सकारात्मक द्र्ष्टी कोण मे बद्लने और उनमे नई स्फुर्ती जगाने का मात्र
एक छोटा सा प्रयास है,उस चिडिया कि तरह जो.....आपको ह्म एक छोटी सी कहानी सुनाना
चाह्ते है,जिससे हमे इस “अच्छी दुनिया डाट इन”
को शुरु करने की प्रेरणा
मिली कहानी कुछ इस तरह से शुरु होती है एक खुशहाल गाँव से कुछ ही दुरी पर बहुत ही हरा-भरा
घना जंगल हुआ करता था।पास ही कल-कल करती नदी की धारा प्रवाहित होती थी।
जंगल के पशु-पक्षी,प्राणी,जीव-ज्ंतु छोटे बडे सभी जानवर मजे से जंगल मे विचरण करते थे।गाँव
के लोग भी इसी जंगल के भरोसे अपनी आजिविका चलाते थे।काफि समय तक सभी कुछ ठीक-ठाक रहा लेकिन एक दिन अचानक किसी कारण वश उस जंगल मे आग लग गई।गाँव मे यह बात उसी आग कि
तरह तेजी से फैल गई।गाँव के लोग आग बुझाने के लिए अपनी सारी कोशिशे करने लगे सभी
भाग-भाग कर पास मे ही बह्ती नदी से पानी लाकर आग बुझाने का प्रयास करने लगे।जंगल
मे लगी आग के कारण सारे प्राणी ईधर–उधर भागने लगे चारो तरफ सिर्फ तबाही का ही
म्ंजर दिखाई दे रहा था।उनमे से एक नन्ही
सी चिडिया जिसका उसी जंगल मे आशियाना था।जो पुरी तरह से जल कर राख हो चुका था।लेकिन
उसकी परवाह न करते हुए नन्ही चिडिया उस जंगल मे लगी आग को बुझाने का प्रयास करने
लगी। नन्ही सी चिडिया अपनी नन्ही सी चोच मे नदी से पानी भरकर लाती और जंगल मे लगी
आग को बुझाने का प्रयास करती बार-बार जाती पानी लेकर आती आग को बुझाने का प्रयास
करती काफी देर से पास ही खडा हाथी यह सब देख रहा था,आखिर चिडिया की हँसी उडाकर कहता है क्या.......?तेरे इस तरह पानी डालने से इतने
बडे जंगल की आग बुझ जाएगी,बेवकूफी मत
कर अपनी जान बचाकर भाग
जा यहाँ से वर्ना इस जंगल की आग मे तू पुरी तरह जल जाएगी।
पह्ले तो नन्ही सी चिडिया ने ध्यान नही
दिया जंगल मे लगी आग को बुझाने का प्रयास करती रही,लेकिन हाथी के बार-बार
टोकने पर नन्ही चिडिया से रहा नही गया आखिर उसने हाथी से कहा बेशक मेरे पंख जल जाए या मै पुरी तरह इसमे जल जाउ लेकिन हाथी महाराज जब भी
गाँव और जंगल का इतिहास लिखा जाएगा आग लगाने वालो मे नही आग बुझाने वालो मे मेरा
नाम आएगा......! आग बुझाने वालो मे मेरा नाम आएगा.............! आग बुझाने वालो मे मेरा
नाम आएगा..............!
दोस्तो इस कहानी से आप ये तो जान चुके होंगे की ह्म किस मिशन कि बात कर रहे
थे। बेशक ह्म बडते अपराध, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचारी,
बेरोजगारी को पुरी तरह दुर या खत्म नही कर सकते। लेकिन सोने की चिड़िया कहलाने वाले अपने इस देश को इन
बुराइयों से बचाने का प्रयास तो कर ही सकते है।
उस नन्ही चिडिया की तरह
प्रयास तो कर ही सकते है.समाज और देश को अच्छे विचार देकर,लोगों के साथ अपने अच्छे
विचारो को सांझा कर,नकारात्म द्र्ष्टी कोण को सकारात्मक द्र्ष्टी कोण मे बद्लने और उनमे नई स्फुर्ती जगाने का मात्र एक छोटा
सा प्रयास तो कर ही सकते है.आपकी रचनाएँ, लेख, धार्मिक विचार, सकारात्म अनुभव, प्रेरक
कहानिया व कविताएँ “हिन्दी” मे फोटो के साथ सादर आम्ंत्रित है।
www.Achhiduniya.in {EMail= achhiduniya@gmail.com , bhawani3294anil@gmail.com } आपके मेल का ह्मेशा इंतजार
रहेगा . आपके तीन सौ सेक्ंड
{300-sec} यानी पाँच मिनट.....समय देने का शुक्रिया दोस्तो.......आपका मित्र श्री- अनिल भवानी ।