- Back to Home »
- Politics »
- जनलोकपाल के दायरे में प्रधानमत्री समेत.....
Posted by : achhiduniya
31 January 2015
लोकपाल केवल परामर्शदात्री संस्था बन कर रह
जाएगी.....
भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए अण्णा का
विरोध सरकारी बिल और जनलोकपाल बिल में व्याप्त असमानताओं पर है, आखिर क्या है सरकार द्वारा प्रस्तावित और जनलोकपाल विधेयक में मुख्य अंतर
सरकारी लोकपाल के पास भ्रष्टाचार के मामलों पर खुद या आम लोगों की शिकायत पर सीधे
कार्रवाई शुरू करने का अधिकार नहीं होगा। प्रस्तावित जनलोकपाल बिल के तहत लोकपाल
खुद किसी भी मामले की जाँच शुरू करने का अधिकार रखता है। सरकारी विधेयक में लोकपाल
केवल परामर्शदात्री संस्था बन कर रह जाएगी। सरकारी विधेयक में लोकपाल के पास पुलिस
शक्ति नहीं होगी।
जनलोकपाल न केवल प्राथमिकी दर्ज करा पाएगा बल्कि उसके पास पुलिस
फोर्स भी होगी। सरकारी विधेयक में लोकपाल का अधिकार क्षेत्र सांसद, मंत्री और प्रधानमंत्री तक सीमित रहेगा। जनलोकपाल के दायरे में
प्रधानमत्री समेत नेता, अधिकारी, न्यायाधीश
सभी आएँगे। लोकपाल में तीन सदस्य होंगे जो सभी सेवानिवृत्त न्यायाधीश होंगे। जनलोकपाल
में 10 सदस्य होंगे और इसका एक अध्यक्ष होगा। चार की कानूनी पृष्टभूमि होगी। बाक़ी
का चयन किसी भी क्षेत्र से होगा।
सरकार द्वारा प्रस्तावित लोकपाल को नियुक्त करने
वाली समिति में उपराष्ट्रपति। प्रधानमंत्री, दोनो सदनों के
नेता, दोनों सदनों के विपक्ष के नेता, कानून
और गृहमंत्री होंगे। प्रस्तावित जनलोकपाल बिल में न्यायिक क्षेत्र के लोग, मुख्य चुनाव आयुक्त, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक,
भारतीय मूल के नोबेल और मैगासेसे पुरस्कार के विजेता चयन करेंगे। सरकारी
लोकपाल विधेयक में दोषी को छह से सात महीने की सजा हो सकती है और घोटाले के धन को
वापिस लेने का कोई प्रावधान नहीं है।
जनलोकपाल बिल में कम से कम पाँच साल और
अधिकतम उम्र कैद की सजा हो सकती है। साथ ही दोषियों से घोटाले के धन की भरपाई का
भी प्रावधान । [ साभार ]