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- चावल से रहे सावधान ....
Posted by : achhiduniya
18 January 2015
गुणकारी तिल आहार में शामिल.........
दुनिया की लगभग आधी आबादी रोजाना चावल खाती
है। चावल में कई ऐसे तत्व भी होते हैं, जिनका सेवन
हमारे शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। चावल हम भारतीयों के आहार का मुख्य हिस्सा
है। यह विटामिन, मिनरल और कार्बोहाइड्रेट का मुख्य स्रोत है।
लेकिन इसके साथ ही चावल से एक बहुत ही खतरनाक बात भी जुड़ी है। आर्सेनिक चावल में पाया
जाने वाला सामान्य तत्व है। यह पानी और मिट्टी में कुदरती रूप से मिल जाता है।
जब धान
की फसल पानी के भीतर तैयार होती है, तब उसमें अन्य अनाज के मुकाबले
दस गुना अधिक आर्सेनिक मौजूद होता है। यह धातु धान के हस्क यानी बाहरी हिस्से में भी
पायी जाती है और मिल में चावल तैयार करने के दौरान हस्क हटा दिए जाते हैं। हालांकि,
ब्राउन राइस में सफेद चावलों की तुलना ज्यादा आर्सेनिक होता है। इसलिए
इसे अपने आहार में शामिल करने से पहले इस बारे में ज़रूर सोचें। आर्सेनिक की अधिक मात्रा
से कई प्रकार के कैंसर, कार्डियोवस्कुलर डिजीज और त्वचा संक्रमण
जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
तिल एक जानी-पहचानी चीज है, जो लगभग
हर भारतीय रसोई में देखी जा सकती है। त्योहारों में लड्डू बनाने हों या कुछ खास व्यंजन,
इन सबमें तिल की ज़रूरत पड़ती है। मकर संक्राति यानी उत्तरायण के दौरान
तिल के बीजों से बने लड्डू हर घर में देखे जा सकते हैं। तिल के तेल का उपयोग खाद्य
तेल के तौर पर भी किया जाता है।
आदिवासी अंचलों में तिल एक प्रमुख औषधि के तौर पर भी
अपनाया जाता है। जानकारों के अनुसार, बेल के फल के गूदे (एक चम्मच)
को तिल के तेल (3 चम्मच) में गर्म कर बहरे व्यक्ति के कानों में एक-एक बूंद प्रतिदिन
सोने के समय डाला जाए तो संभावना होती है कि बहरापन दूर हो जाए।