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- बेवकूफ बनाने वाला मनोरंजक खेल......
Posted by : achhiduniya
15 January 2015
W W E / W W F की कुश्तियां की असलियत ....?
मित्रो प्रणाम...आज के खेल कूद मे एक
कुस्ती भी शामिल है जो पुरातन समय के राजा – महाराजा
अपने मोरंजन व अपने बाड़े के ताकतवर होने का दम भरते थे। जिनहे वे अच्छी खुराक के
साथ कुछ नियमो के पालन मे भी बाध्य करते थे। बदलते समय के हिसाब से पहलवानों को अपने वज़न को लेकर बेहद सतर्क
रहना होता है। ब्रह्मचर्य के पालन से एक पहलवान में निष्ठा आती है वो डिसिप्लिन
में आता है लेकिन सिर्फ़ ब्रह्मचर्य से काम नहीं चलता और न ही ये कोई अनिवार्यता
है. ब्रहमचर्य के साथ साथ अच्छी डाईट और प्रॉपर ट्रेनिंग भी बहुत ज़रूरी है।
लंगोट
बांधने का एक विशेष तरीका होता है वर्ऩा ये कुश्ती के दौरान खुल जाता है. जिन
पहलवानों को इसे बांधना नहीं आता वो इसमें काफ़ी देर उलझे रहते थे. तब कहा जाता है
कि ये दो दिन में लंगोट पहनता है, कुश्ती न जाने कब लड़ेगा ।
अत्यधिक परिश्रम करते समय शरीर का तापमान एक विशेष स्तर पर पहुंचने पर आपके कान पर
लगा हल्का सा हाथ भी आपकी रक्त कोशिकाओं को फाड़ सकता है या आपकी कान की हड्डी को
तोड़ सकता है। कान में ख़ून भर जाने से कान की बनावट में बदलाव आ जाता है लेकिन
पहलवान इसका इलाज नहीं करवाते क्योंकि इलाज
के बाद ये फिर टूट सकते हैं,लेकिन टूटे रहने पर इनमें कोई
समस्या नहीं होती. अंग्रेज़ी में इसे कॉलीफ़्लावर ईयर भी कहते हैं यानि गोभी के
फूल जैसे कान।
आपके वज़न में थोड़ी सी भी तब्दीली भी आपको गलत भार वर्ग में ला सकती
है, जिससे उसे मुश्किल हो सकती है। किसी भी अखाड़े में
मिट्टी डालते समय उसमें हल्दी, तेल, मेंहदी
को भर भर कर मिलाया जाता है ताकि वो नरम रहे और शरीर की चोट को ठीक करे। पहले के
जमाने में अखाड़े कि मिट्टी में दूध या मठ्ठा भी मिलाया जाता था और कई बार चोट
लगने पर अखाड़े की मिट्टी के लेप से चोट ठीक हो जाती थीं
लेकिन ये सही है कि आजकल
ऐसा नहीं है क्योंकि अखाड़े में अब सामान्य मिट्टी मिलाई जाती है जिसमें सिर्फ़
पानी होता है। W W E / W W F के पहलवान लड़ते जरूर हैं, लेकिन दिखावे के लिए.
वो सिर्फ़ एक प्रदर्शन का खेल होता है ,सिर्फ बेवकूफ बनाने वाला मनोरंजन विजेता कौन होगा ये पहले से तय होता है
वर्ना जो दांव को वो लगाते हैं उन दांव से भारी से भारी पहलवान भी ज्यादा देर नहीं
चल सकता।

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