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Posted by : achhiduniya
26 February 2015
सोशल मीडिया पर सेलिब्रिटीज के नाम पर खूब ट्रेनें......
सोशल मीडिया पर सेलिब्रिटीज के नाम पर खूब ट्रेनें दौड़ीं। ट्विटर पर हैशटैगसेलेबट्रेंस पर ट्रैंड रहा। इसमें यूजर्स ने विभिन्न सेलिब्रिटीज, राजनीतिज्ञ और प्रख्यात हस्तियों के नाम पर ट्रेनें दौड़ाईं।
मोदी एक्सप्रेस : सुरेश प्रभु ने रेल बजट में एक मोदी एक्सप्रेस नाम की ट्रेन चलाने की घोषणा की है। ट्रेन चलेगी नहीं, सिर्फ तेज हॉर्न बजाएगी।
बप्पी लाहिरी एक्सप्रेस : आपने चेन खींची तो आपको इसके पीछे एक और चेन नजर आएगी।
एकता कपूर एक्सप्रेस : एक प्लेटफार्म पर तीन बार आएगी।
आमिर खान एक्सप्रेस : साल में एक बार दौड़ेगी और यात्रियों का चुनाव भी खुद ही करेगी।
सलमान खान एक्सप्रेस : फुटपाथ पर भी चल सकती है।
मनमोहन ट्रेन : एकमात्र साइलेंट ट्रेन।
रजनीकांत एक्सप्रेस : ट्रेन खड़ी रहेगी, स्टेशन आते-जाते रहेंगे।
धौनी एक्सप्रेस : 95 प्रतिशत सफर में 10 किमी प्रति घंटे की रफ्तार, शेष 5 फीसद सफर में 400 किमी प्रतिघंटा की गति।
राहुल गांधी एक्सप्रेस : बार-बार पटरी से उतरेगी।
कांग्रेस एक्सप्रेस : हर बोगी में एक अनुभवी ड्राइवर है, लेकिन इंजन का ड्राइवर छुट्टी पर है।
केजरीवाल एक्सप्रेस : आपको चादर के बदले मफलर मिलेंगे।
अमित शाह ट्रेन : दिल्ली को छोड़कर पूरे देश को कवर करेगी।
अन्ना हजारे ट्रेन : पैंट्री कार नहीं रहेगी।
सचिन तेंदुलकर एक्सप्रेस : टेम्पल ऑन व्हील्स
सरकार ने बता
दिया है कि महिला सुरक्षा उसकी प्राथमिकता है। रेल में महिलाओं का सफर सुरक्षित
करने के लिए तीसरी आंख के जरिए निगरानी की जाएगी। इसके लिए महिलाओं के डिब्बों में
सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। 2015-16 के रेल बजट में
सुरेश प्रभु ने महिलाओं के डिब्बों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का प्रावधान किया है।
उन्होंने यह भी कहा कि सीसीटीवी कैमरे लगाते समय इस बात का खास ध्यान रखा जाएगा कि
महिलाओं की निजता भंग न हो।
फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तहत मेनलाइन के चुनिंदा
सवारी डिब्बों और उपनगरीय गाड़ियों में ही ये कैमरे लगेंगे। इस पर आने वाले खर्च
का कुछ हिस्सा निर्भया फंड से लिया जाएगा। दिल्ली में हुए निर्भया कांड के बाद
सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए 1000 करोड़ रुपये के
निर्भया फंड की घोषणा की थी। महिला डिब्बों में सीसीटीवी कैमरा लगाने के लिए इससे
पैसा लेने की बात कही गई है, लेकिन कितना
पैसा लिया जाएगा यह अभी यह तय नहीं है।
रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने पहली बार इसके
लिए ठोस कार्ययोजना की रूपरेखा पेश की है। रेल की सुरक्षित यात्रा के लिए पांच
वर्षीय योजना के पहले चरण में इस साल करीब 3500 मानव रहित रेलवे
क्रासिंग को बंद किया जाएगा या उन पर पुल बनाया जाएगा। हैरानी की बात यह है कि इसके
पहले रेलवे क्रासिंग समाप्त करने की रफ्तार सालाना 150 से भी नीचे रही
है। रेलवे सुरक्षा की अहमियत को रेखांकित करते हुए प्रभु ने कहा कि ‘हर व्यक्ति का जीवन अमूल्य है और किसी एक व्यक्ति के भी
जीवन की क्षतिपूर्ति असंभव है।’ उन्होंने संकेत
दिया कि अगले पांच सालों में दुघर्टना रहित सफर का सपना साकार हो सकता है। इसके
लिए डा. अनिल काकोडकर की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय सेफ्टी रिव्यू समिति की
सिफारिशों की पड़ताल अप्रैल तक पूरी हो जाएगी।
सरकार का उद्देश्य बिना चौकीदार
वाले क्रासिंग को पूरी तरह खत्म करने की है। लेकिन फौरी तौर पर रेलवे विकास व मानक
संगठन को इसरो के साथ मिलकर ऐसे उपकरण विकसित करने को कहा गया है जिससे मानवरहित
फाटकों पर दृश्य-श्रव्य चेतावनी दी जा सके। इन फाटकों पर आइआइटी कानपुर की सहायता
से एक रेडियो आधारित सिग्नल प्रणाली विकसित करने पर भी काम चल रहा है।
प्रभु की
सबसे अधिक महात्वाकांक्षी योजना एक साल के भीतर 970 क्रासिंग पर
ओवरब्रिज या अंडरपास बनाने और 3438 क्रासिंग को
खत्म करने के लिए जरूरी निर्माण करने की है। इसके पहले इस समस्या को कभी इतनी
तवज्जो नहीं दी गई थी। मजेदार बात यह है कि यह सिर्फ बजटीय घोषणा नहीं है, बल्कि इसके निर्माण को स्वीकृति भी दी जा चुकी है।
इसके
साथ ही सवारी डिब्बों में आगजनी की घटनाएं रोकने और दुघर्टना की स्थिति में
डिब्बों के एक-दूसरे पर चढ़ जाने से रोकने की नई प्रणाली विकसित करने की
जिम्मेदारी रेलवे विकास व मानक संगठन को दिया गया है। जल्द ही चुनिंदा मार्गो पर
गाड़ी सुरक्षा चेतावनी प्रणाली और गाड़ी टक्कर बचाव प्रणाली भी लगाए जाएंगे। प्रभु
ने पटरी की जांच के लिए डिजिटल मशीनों का इस्तेमाल करने की भी घोषणा की। उन्होंने
कहा कि गाड़ी को पटरी से उतरने से रोकने के लिए भविष्य में अपेक्षाकृत भारी
पटरियों और अत्याधुनिक वेल्डिंग तकनीक का उपयोग किया जाएगा।[साभार ]