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- एक बच्चे के तीन माँ-बाप....? [वन चाइल्ड थ्री-पेरेन्टस]
Posted by : achhiduniya
28 February 2015
ईश्वर
की व्यवस्था में दखल देने जैसा...........
भारत
देश मे जिन निसंतान दंपति को बच्चे नही होते वे दूसरे के स्पर्म या दूसरे की स्त्री
के द्वारा [सेरोगेटेड मदर] बच्चे पैदा करने के कानूनी तरीको का उपयोग करते है। इसी
बात के चलते निसंतान दंपति लिए ब्रिटेन की सरकार ने एक अहम तकनीक
हाउस ऑफ कॉमन्स में इस महीने के शुरू में पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है। ब्रिटेन
में हर साल इस तकनीक का इस्तेमाल करने की ज़रूरत करीब एक दर्जन मामलों में पड़ा
करेगी।
ये उन महिलाओं के लिए वरदान साबित होगी जो माइटोकॉन्ड्रिया के सामान्य तौर
पर काम नहीं करने से पीड़ित हैं। ये कोशिका के न्यूक्लियस के बाहर ऊर्जा उत्पन्न
करने वाले स्ट्रक्चर होते हैं। आनुवांशिक तौर पर इनके त्रुटिपूर्ण होने से महिला
की संतान में मांसपेशी, मस्तिष्क, हृदय और अन्य महत्वपूर्ण
अंगों की बीमार से ग्रस्त होने का खतरा रहता है। ब्रिटेन दुनिया का पहला देश बन
गया है जहां तीन लोगों के डीएनए से संतान उत्पन्न करने को अनुमति दी गई है।
हाउस
ऑफ लॉर्ड्स ने मंगलवार को विवादित इन विट्रो फर्टिलाइजेशन तकनीक के पक्ष में मतदान दिया। इस तकनीक को
थ्री-पेरेन्ट आई वी एफ के नाम से जाना जाता है। इस खतरे को कम करने के लिए
वैज्ञानिक मां के
अंडाणु (एग) से न्यूक्लियस
डीएनए को अलग कर डोनर महिला के एग में डाला जाता है। ऐसा करने से पहले डोनर महिला
के एग से उसके न्यूक्लियस डीएनए को पहले ही अलग कर लिया जाता है। ऐसा करने से जो
भ्रूण बनता है उसमें न्यूक्लियस डीएनए तो उसके पेरेन्टस का ही रहता है। लेकिन
माइटोकॉन्ड़्रियल डीएनए डोनर का रहता है। लाइलाज बीमारियों वाले बच्चों की देखभाल
में किन परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है, ये भलीभांति समझने वाले परिवारों को ही निर्णय लेने का अधिकार होना
चाहिए कि माइटोकॉन्ड्रियल विकल्प उनके लिए सही है या नहीं।
ब्रिटिश
सरकार ने बीते दिसंबर में इस संबंध में नियम प्रकाशित किए हैं। इनके अनुसार इस
तकनीक के इस्तेमाल की अनुमति सिर्फ उन मामलों में दी जाएगी जहां संतान के
आनुवांशिक बीमारियों से ग्रस्त होने का खतरा हो। ब्रिटेन चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ सैली
डेविस ने कानून का समर्थन करते हुए कहा कि इससे माइटोकॉन्ड्रिया की बीमारी से
ग्रस्त ऐसी महिलाओं को भी ऐसी संतान उत्पन्न करने का अवसर देगा जो आनुवांशिक दोषों
से मुक्त होगी। इस तरह की तकनीक को
अनुमति देने का चर्च ऑफ इंग्लैंड समेत कई संगठन कड़ा विरोध कर रहे थे। उनका कहना
था कि ये ईश्वर की व्यवस्था में दखल देने जैसा है।
सेटर फॉर जेनेटिक्स एंड सोसाइटी कैम्पेन ग्रुप के डायरेक्टर मार्की
डॉर्नोवस्की का कहना है कि मंगलवार को लिया गया फैसला ऐतिहासिक भूल है। ये जेनेटिक
बदलावों की पहल करने वाला है जिन्हें भविष्य की पीढ़ियों को अग्रसारित किया जा
सकेगा।
वहीं वेलकम ट्रस्ट मेडिकल
चैरिटी के डायरेक्टर जेरेमी फरार ने कहा है कि नया विकल्प उन जोड़ों के लिए वरदान
है जो मेडिकल समस्याओं के बावजूद संतान की चाहत रखते हैं।