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- वेलेटाइन डे [Valentine Day] समर्पण या सौदा.....
Posted by : achhiduniya
12 February 2015
प्यार का दिन हर दिन होना चाहिए......
मित्रो प्रणाम......बड़े ज़ोर
शोर से वेलेटाइन डे [प्रेमी–प्रेमिका का दिन] मनाने की तैयारिया शुरू हो चुकी हो मानो
दिवाली ,क्रिसमस ,ईद कोई गुरपुरब ,जयंती आने वाली हो। बाजारो
मे ग्रीटिंग कार्ड और गिफ्ट आइटम की मांग एका एक बड़ गई,फूलो
के दाम तो आसमान छु रहे है।क्या...? यही तक हमारा प्यार सीमित है जो केवल एक दिन तक सीमित
हो गया है.
आज सोचना जरूरी है की फादर्स डे ,मदर्स डे, टीचर डे ,चिलरिंस डे ,डाक्टर्स डे ,बर्थ डे ,न्यू ईयर डे । आपको याद होगा हीर – राँझा ,लैला
– मजनू , शीरी – फरहा,मुमताज़ ऐसे ना जाने कितने ही प्रेमी – प्रेमीका हो चुके
है
जिनकी सच्चे प्रेम की कहानिया सुन कर आज के आवारा प्रेमी-प्रेमिकाए पैदा हो गए जो
सिर्फ एक दूसरे को इस्तेमाल करने के सिवा कुछ नही करते चाहे वो पैसे के कारण हो ,शरीर
के कारण हो या अन्य कोई और जरूरत हो। आज जरूरी है प्रेम के असली रहस्य को जानने की
जो प्यार मीरा ने और राधा ने कृष्ण कन्नहिया से किया.
माता
सीता ने श्री राम जी से किया जिसके चलते राजपाट –सुख साधन तक त्याग बनवास जाने का निर्णय
लिया। जंगल मे शबरी ने श्री राम जी को जूठे बेर खिलाए ताकि रामजी को मीठे बेर मिले
खट्टे ना मिले ।
प्रेमियो ने अपने प्रेम के लिए अपनी जान तक दे दी और आजकल जान लेने
की पड़ी है। क्या ये प्यार नही.था...? लेकिन आज कल का प्यार सिर्फ दिखावे तक सीमित रह गया
है जिसमे से समर्पण खत्म हो चुका है। पोथी पड़ पड़ जग मुआ पंडित भया ना कोई ढाई आखर प्रेम
के पड़े सो पंडित होए कहने का अर्थ है.
इस प्यार को अगर एक दिन तक सीमित रखेंगे तो कुछ
हासिल न होगा इसे तो रोज
[Rose] गुलाब की तरह महकाने की जरूरत है।प्यार का दिन हर दिन होना चाहिए
।