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- महिलाओ कि अश्लीलता के विज्ञापन..
Posted by : achhiduniya
29 March 2015
दुष्परिणामों के
विषय कि गंभीरता पर विचार
करने...
आज टेलीविज़न,अखबार और किताबे महिलाओ कि अश्लीलता
के विज्ञापन
से भरे पड़े है,क्या....?यही है महिलाओ का सम्मान या किसी वस्तु या
प्रोडक्ट को बेचने के लिए कंपनियो को महिलाओ कि अश्लीलता का सहारा
लेकर अपने उत्पादनों को बेचने
के लिए मजबूर होना पड़ता है। क्या....?उन्हे
अपने वस्तु या प्रोडक्ट
कि गुणवंता पर भरोसा नही या लोगो को अश्लीलता
दिखाकर नारी को अपमानित करने उनकी मजबूरी
का फायदा उठाने कि
कोशिश करते है। जहा तक कंपनिया इसकी जितनी जिम्मेदार है उतनी ही
महिलाऍ भी होती है,जहा वे एक तरफ अपने को सुरक्षित रखने के लिए
कानूनों कि माँग करती है वही वे इस प्रकार के विज्ञापनो मे अपने जिस्म
कि नुमाइश करके
समाज मे बच्चे-बुढो और युवाओ मे जाने –अंजाने मे ही
सही पथ भ्रष्ट करने का काम करती
है। रास्तो पर ब्रा –पैंटी से सजी दुकाने
इस आग मे धी का काम करती है। विज्ञापनों में अश्लीलता पर गंभीर
सरकार ने लक्स कोजी और अमूल
मैचो कंपनियों के 2 विज्ञापनों पर रोक
लगा दी है। विभिन्न टेलिविज़न चैनलों पर
प्रसारित किए जा रहे लक्स कोजी
अंडरवियर और अमूल माचो अंडरवेअर के विज्ञापनों को
अभद्र अश्लील
उत्तेजक माना गया है। इनमें से एक विज्ञापन में एक महिला को जेंट्स
अश्लील होते जाते
हैं। इसी तरह दूसरे विज्ञापन में एक कपड़े धोने वाली एक
घर में कपड़े लेने जाती
है। उसके घंटी बजाने पर टॉवल बांधे एक आदमी
दरवाजा खोलता है। तभी उसका टॉवल गिर
जाता है। इस पर वह कपड़े धोने
वाली उसे अश्लील इशारा करती है। अगर वाकई मे महिलाऍ अपनी सुरक्षा
और अपनी इज्जत के प्रती
संजीदा है तो उन्हे इस विज्ञापन के दुष्परिणामों
के विषय कि गंभीरता पर विचार करने
कि जरूरत है।[जनहित मे जानकारी]