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- दिल के अरमा आँसुओ मे बह गए.......
Posted by : achhiduniya
27 March 2015
अब पछताए होत क्या जब चिड़िया
चुग गई खेत.........
मैच खत्म होते ही आरोप –परत्यारोप
का दौर शुरू हो गया मानो वर्ल्ड कप नही कोई कारगिल या विश्व युद्ध हार गए हो माना की क्रिकेट से लोगो की भावनाए जुड़ी
होती है लेकिन उसके लिए किसी एक को दोष देना क्या......? ठीक है। खेल को
खेल तक ही रहने दिया जाए तो अच्छा होगा इसे देश की इज्जत से या अपने व्यक्तिगत भावनाओ से जोड़कर देखना,आत्म हत्या करना,अपनी
जबान काट लेना इस प्रकार की बाते सामने आ रही है जो ठीक
नही।
सभी गेंदबाज दहाड़ रहे थे और कहा जा रहा था कि ये गेंदबाज लाजवाब हैं। ये पूरी दुनियां को आउट कर सकते हैं। बल्लेबाज़ी में भी बांग्लादेश और ज़िम्बाब्वे जैसी टीमों के खिलाफ रैना और रहाणे जैसे बल्लेबाजों का बल्ला खूब बोल रहा था। मगर जैसे ही ताकतवर टीम सामने आई। तेज़ गेंदबाज से टक्कर हुई ज़मीन पर गिर पड़े। मैच की हार का विश्लेषण करते हुए धोनी कहते हैं कि शिखर धवन पिच पर जम चुके थे, उन्हें उस वक्त बड़ा शॉट नहीं खेलना चाहिए था।
वर्ल्ड कप में कुल मिलाकर लगातार 11 जीत हासिल कर चुकी टीम इंडिया का विजय रथ बेशक रुक गया। जब कभी 5 या 10 सालों में टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया या साउथ अफ्रीका जैसी टीमों को हरा देती है शोर मचना शुरू हो जाता है और सब चिल्लाने लगते हैं की टीम इंडिया ने लड़ना सीख लिया, टीम इंडिया बहुत मज़बूत है या टीम इंडिया ही ऑस्ट्रेलिया को टक्कर दे सकती है और फिर अगले मुकाबले में दूध का दूध और पानी का पानी साफ़ हो जाता है।
लेकिन टीम इंडिया इन चार महीनों के दौरान जो कुछ सीख कर आई है उसका फ़ायदा उठाती है तो इन्हें लंबे समय में बड़ा फ़ायदा पहुंचेगा।