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- क्योकि बहू भी कभी.....फेमस रेस्त्रां में बतौर वेट्रेस...थी.....
Posted by : achhiduniya
26 March 2015
‘विरुद्ध’, ‘तीन बहूरानियां’ और ‘एक थी नायिका’
स्मृति का जन्म 23 मार्च 1976
को उनका जन्म नई दिल्ली में हुआ था। दिल्ली के मल्होत्रा परिवार में हुआ था। साल
2001 में जब उन्होंने पारसी एंटरप्रेन्योर जुबिन ईरानी से शादी की, तब से वे स्मृति ईरानी के नाम
से जानी जाने लगीं। अक्टूबर 2001 में उन्होंने बेटे को जन्म दिया, जिसका नाम जोहर रखा।
दो साल बाद
यानी सितंबर 2003 में वे बेटी जोइश की मां बनीं। स्मृति की एक सौतेली बेटी भी है
शानेल। शानेल जुबिन और उनकी पहली पत्नी मोना ईरानी की बेटी हैं। छोटे परदे पर
तुलसी के नाम से पॉपुलर हुईं स्मृति ईरानी पिछले साल जब केंद्र में उन्हें मानव
संसाधन मंत्री बनाया गया, तब उनकी शिक्षा को लेकर काफी
विवाद हुआ था।
1998 में स्मृति ने मिस इंडिया पेजेंट में हिस्सा लिया और फाइनलिस्ट
में अपनी जगह बनाई। यही वह साल था, जब वे मीका सिंह के एल्बम ‘सावन में लग गई आग’ के सॉन्ग ‘बोलियां’ में परफॉर्म करती नजर आईं। बता
दें कि मॉडलिंग में आने से पहले स्मृति एक फेमस रेस्त्रां में बतौर वेट्रेस काम
किया करती थीं। साल 2000 में स्मृति ने सीरियल ‘आतिश’ और ‘हम हैं कल आज और कल’ से छोटे परदे पर एंट्री ली।
दोनों ही सीरियल स्टार प्लस पर प्रसारित होते थे।
हालांकि, उन्हें पहचान एकता कपूर के शो ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ से मिली। इस सीरियल में उनके
द्वारा निभाया गया तुलसी का किरदार काफी पसंद किया गया और वे घर-घर में इसी नाम से
एक आदर्श बहू के रूप में जानी जाने लगी।इस शो के लिए उन्होंने पांच इंडियन
टेलीविजन एकेडमी अवॉर्ड्स, चार इंडियन टेली अवॉर्ड्स और 8
स्टार परिवार अवॉर्ड्स अपने नाम किए थे।
स्मृति ने साल 2001 में पौराणिक सीरियल
रामायण में सीता का किरदार भी निभाया। इसके अलावा उन्होंने ‘विरुद्ध’, ‘तीन बहूरानियां’ और ‘एक थी नायिका’ जैसे कई सीरियल्स में भी काम
किया है। साल 2003 में स्मृति ईरानी ने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन की। इसके अगले
साल ही उन्हें महाराष्ट्र की यूथ विंग का वाइस प्रेसिडेंट बना दिया गया।
2004 में
उन्होंने चांदनी चौक, दिल्ली से कांग्रेस के कपिल
सिब्बल के खिलाफ आम चुनाव लड़ा, लेकिन वे हार गईं। हालांकि, पार्टी में उनके हार्ड वर्क को
सराहना मिलती रही। साल 2010 में स्मृति बीजेपी की राष्ट्रिय
सचिव और महिला विंग की अध्यक्ष बनीं।
साल 2014 में बीजेपी ने उन्हें राहुल
गांधी के खिलाफ
अमेठी से आम चुनाव में उतारा। इस बार भी वे जीतने में असफल रहीं। हालांकि, मोदी सरकार ने उन्हें राज्यसभा
सदस्य मनोनीत करते हुए मानव संसाधन और विकास मंत्रालय सौंपा। इसके साथ ही वे मोदी
कैबिनेट की सबसे युवा मंत्री हैं।